भारतीय त्योहार और नववर्ष मनाने की परंपरा वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित:डॉ शैलेंद्र

विश्व संवाद केन्द्र की ओर से आयोजित होली​ मिलन कार्यक्रम में दिखा लेखक,साहित्यकार,पत्रकार व मातृशक्ति का समागम

देहरादून । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक डा. शैलेंद्र ने कहा कि एक समय ऐसा भी था, जब सनातन त्योहारों को लेकर बहुत नक़रात्मक कहा जाता था। हिन्दू और हिन्दुत्व पर भी सवाल उठाए जाते थे, लेकिन आज पूरी दुनिया जानती है कि भारत के प्रत्येक उत्सव के पीछे एक ही भाव छिपा है, वह है बुराई से अच्छाई और असत्य पर सत्य की विजय।

शनिवार को राजपुर मार्ग स्थित नारायण मुनि भवन में विश्व संवाद केंद्र की ओर से आयोजित होली मिलन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आरएसएस के प्रांत प्रचारक डॉ शैलेन्द्र ने यह बातें कही। इस दौरान प्रांत प्रचारक ने कहा कि भारत उत्सव का देश है। यहां हर रोज कोई न कोई उत्सव होता है। अनेक महापुरुषों से जुड़ी कोई न कोई तिथि भी है, जिस दिन उन महापुरुषों का जन्म हुआ है। होली पर्व पर प्रकृति भी उल्लास मना रही होती है, होली का त्योहार भी ऐसा ही पर्व है। होली मिलन समारोह का रंगा-बिरंगा बैनर भी उसी प्रकार से है। उन्होंने कहा कि प्रकृति में भी परिवर्तन की बयार बह रही है। वैसे हिन्दू नववर्ष पर तो आर्थिक व्यवहार सुधरने के साथ अच्छे काम प्रारंभ हो जाते हैं। ऐसे में होली किसानों के लिए भी खास है। उन्होंने मथुरा वृंदावन और बुंदेलखंड का जिक्र करते हुए कहा कि वृंदावन में एकादशी और पूर्णिमा के दिन तो पैर रखने तक की जगह नहीं होती।

जौनसार में दीपावली से एक महीने बाद मनती है दीपावली, जानें क्यों?
इस बार सत्र में तो दो बार दीपावली मनाने का अवसर मिला। एक दीपावली के दिन और एक 22 जनवरी को, लेकिन यहीं पास में ही जौनसार में लोग दीपावली से एक महीने बाद दीपावली मनाते हैं। वो कहते हैं कि हम लोग जनजाति के हैं, हमारे यहां सूचना देर से पहुंची। इस पर उन्होंने कहा कि अब तो सूचना सही हो गई, लेकिन वास्तविक कारण है कि उस समय अदरक, मटर और ऐसे अनेक खेती के सीजन के कारण से समय ही नहीं रहता, मंडी में बेचकर पैसा आता है तो फिर उत्साह से त्योहार मनाते हैं। ऐसे में कहीं न कहीं इसके पीछे भी भाव है।

देव और दानव संस्कृति पर प्रकाश-
प्रांत प्रचारक ने देव और दानव संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए बदायूं की घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मारकर खून पीने वाला राक्षस है। आगे उन्होंने हिरण्य कश्यप का जिक्र करते हुए कहा कि जो दूसरों को दुख देते हैं, परेशान करते हैं, दूसराें का कष्ट देखकर जिन्हें आनंद आता है, वही राक्षस है।

कुमाऊनी होल्याराें ने फूलों की होली खेली:
कार्यक्रम में लेखक,साहित्यकार,पत्रकार व मातृशक्ति का समागम दिखा। होली मिलन समारोह में होल्यारों ने अनेक होली गीतों का गायन किया और होली के गीतों पर स्वांग रचाया। महिलाएं होली के पारंपरिक परिधान पहनी नजर आईं। हमारी पहचान रंग-मंच के अध्यक्ष मोहन पाठक और सचिव बबीता शाह लोहानी के नेतृत्व में कुमाऊनी होल्याराें ने फूलों की होली खेली और होली गीत गाकर लोगों को सराबोर कर दिया। कार्यक्रम में आने वालों का अबीर-गुलाल का टीका लगाकर स्वागत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन प्रांत मीडिया संवाद प्रमुख बलदेव पाराशर ने किया। कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवि एवं पत्रकार वीरेंद्र डंगवाल साहित्यकार शिव मोहन सिंह विख्यात कवि शोभा सुनील जी ने अत्यंत मधुर प्रस्तुतियाँ प्रस्तुत की।
इस दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रचारक प्रमुख जगदीश, उत्तराखंड के प्रांत प्रचार प्रमुख संजय, विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष सुरेंद्र मित्तल, प्रांत व्यवस्था प्रमुख नीरज मित्तल, रणजीत ज्याला,राजेश सेठी,रीता गोयल, सचिव राजकुमार टोंक, गजेंद्र खंडूरी ,अनिल नंदा राजेंद्र पंत ,देवेंद्र भसीन,अंकुर ,अजय आलोक सिन्हाप्रेम, दिनेश, मनीष आदि थे।

 

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