केदारनाथ के गर्भ गृह को स्वर्ण जड़ित करने पर हुए विवाद को समिति ने बताया षडयंत्र – News Debate

केदारनाथ के गर्भ गृह को स्वर्ण जड़ित करने पर हुए विवाद को समिति ने बताया षडयंत्र

देहरादून। केदारनाथ मंदिर को स्वर्णजड़ित करने के विवाद और सोने के तांबे मे तब्दील होने के आरोपों के बीच मंदिर समिति ने इसे षड्यंत्र का हिस्सा बताया है। मामले ने तब तूल पकड़ा जब केदारनाथ के पुरोहितों ने सोने की परत जड़ित प्लेटों पर सवाल खड़े कर दिए। चारधाम महापंचायत उपाध्यक्ष और केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित आचार्य संतोष त्रिवेदी ने बीकेटीसी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि मंदिर के गर्भ गृह में लगा सोना पीतल में तब्दील हो गया है। इस दौरान गर्भ गृह मे कार्य कर रहे कारीगरों का एक वीडियो भी वाइरल हुआ है।

दूसरी ओर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति (बीकेटीसी) ने श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने को भ्रम और षड्यंत्र का हिस्सा बताया है। समिति ने कहा है कि दानी दाता द्वारा श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने की इच्छा प्रकट की गयी थी। दानीदाता की भावनाओं का सम्मान करते हुए मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव का परीक्षण कर स्वर्णमंडित करने की अनुमति दी गयी।

बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी ने स्पष्ट किया है कि बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम-1939 में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप ही दानी दाता से दान स्वीकारा गया है और श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने के लिए प्रदेश शासन से अनुमति ली गई। भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देख देख में स्वर्ण मंडित करने का कार्य किया गया।

बीकेटीसी द्वारा केदारनाथ मन्दिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने की अनुमति दानी दाता की पावन भावना के अनुरूप दी गयी। गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का कार्य स्वयं दानी दाता ने अपने स्तर से किया है। दानी दाता द्वारा अपने स्तर से ज्वैलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार करवाई गई और फिर उन पर सोने की परतें चढ़ाई गईं। दानी दाता ने अपने ज्वैलर्स के माध्यम से ही इन प्लेटों को मंदिर में स्थापित कराया।

सोना खरीदने से लेकर दीवारों पर जड़ने तक का सम्पूर्ण कार्य दानी द्वारा कराया गया। मन्दिर समिति की इसमें कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी। अर्थात सारा कार्य दानीदाता द्वारा किया गया।

दानी दाता द्वारा अपने स्वर्णकार के माध्यम से गर्भ गृह में लगाई गई स्वर्ण व तांबे की प्लेटों के आधिकारिक बिल व बाउचर बीकेटीसी को कार्य पूर्ण होने के पश्चात दे दिए गए थे। बीकेटीसी द्वारा नियमानुसार इसे स्टॉक बुक में दर्ज किया गया है।दानस्वरूप किए गए इस कार्य हेतु दानी व्यक्ति अथवा किसी फर्म द्वारा बीकेटीसी के समक्ष किसी प्रकार की शर्त नहीं रखी गई और नहीं दानी दाता ने बीकेटीसी से आयकर अधिनियम की धारा – 80 जी का प्रमाण पत्र मांगा।

इसी दानी दाता द्वारा वर्ष 2005 में श्री बदरीनाथ मन्दिर गर्भगृह को भी स्वर्ण जड़ित किया गया था। मगर वर्तमान समय में एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत विद्वेषपूर्ण आरोप लगाये जा रहे हैं।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से और प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में सुव्यवस्थित यात्रा संचालन के कारण यात्री संख्या में भारी वृद्धि हुई है। खास कर श्री केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। यह बात कुछ राजनीतिक तत्वों को रास नहीं आ रही है। ऐसे तत्व यात्रा को प्रभावित करने और केदारनाथ धाम की छवि को धूमिल करने के लिए भ्रम फैला रहे हैं।

मंदिर समिति मंदिर के गर्भगृह में लगाए गए सोने की कीमत को लेकर किये जा रहे दावों को भी पूरी तरह से भ्रामक बता रही है। समिति ने कहा कि गर्भ गृह मे लगाया गया सोना 23,777.800 ग्राम है, जिसका मूल्य 14.38 करोड़ रुपये है। वहीं कॉपर की प्लेटों पर स्वर्ण जड़ित कार्य के लिए 1,001.300 किलोग्राम है, प्लेटें लगी थी, जिसकी लागत कुल 29 लाख रुपये है।

 पिछले साल गर्भ गृह मे लगी थी स्वर्ण जड़ित प्लैट

केदारनाथ धाम के मंदिर के गर्भगृह में पिछले साल एक दानदाता ने सोने की परत जड़ित प्लेटों को लगवाया था। अब इन प्लेटों को लेकर अब विवाद हो गया है। केदारनाथ के पुरोहितों ने सोने की परत जड़ित प्लेटों पर सवाल खड़े कर दिए है। उन्होंने दावा किया कि मुंबई के एक कारोबारी ने 230 किलोग्राम सोना दान किया था, जिससे मंदिर में सोने जड़ित परत दीवारों पर लगाई गई थी।  वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित आचार्य संतोष त्रिवेदी ने मामले घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अगर सवा अरब रुपये का घोटाला करने वाले आरोपियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो जन आंदोलन किया जाएगा।उन्होंने कहा कि बीकेटीसी, सरकार और प्रशासन में जो भी लोग इस पूरे मामले में जिम्मेदार हैं जाच में उनकी पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।  तीर्थ पुरोहित गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का पहले भी विरोध कर रहे थे।

 

 

 

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