देहरादून। प्रदेश में 2 साल के दौरान शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधान के बाद भी 2 लाख बच्चे प्रवेश से वंचित रहे। हालांकि निजी विधालयों ने इसके लिए आय प्रमाण पत्र न समय पर न बनने का तर्क दिया।
मंगलवार को मंत्री विद्यालयी शिक्षा डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों को लागू किये जाने के सम्बन्ध में विभागीय अधिकारियों तथा निजी शिक्षण संस्थानों के प्रबन्धकों / प्रधानाचार्यों के साथ प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय के सभागार में आयोजित बैठक में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने कहा कि प्रदेश के 25% गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले बच्चों को निजी विद्यालयों में प्रवेश दिये जाने के प्रावधान होने के बाद विगत दो वर्षों से एक लाख बच्चे प्रवेश पाने से वंचित रहे, जिस पर मंत्री द्वारा चिन्ता व्यक्त की गयी। इस पर निजी विद्यालयों के प्रबन्धकों द्वारा अवगत कराया गया कि समय पर आय प्रमाण पत्र न बन पाने के कारण इस लक्ष्य को शत प्रतिशत प्राप्त नहीं किया जा सका। मंत्री द्वारा निर्देश दिए गये कि प्रत्येक तहसील स्तर पर आय प्रमाण पत्र बनाये जाने हेतु मेलों का आयोजन किया जायेगा ताकि सुगमता से आय प्रमाण पत्र बनाये जा सके। यह भी अवगत कराया गया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत अवगत कराया स्कूल बस से छात्राओं की सुरक्षा के दृष्टिगत लाने ले जाने हेतु बस में महिला कार्मिक होना अनिवार्य है।
कक्षा 01 से 08 तक अनुत्तीर्ण नहीं किये जाने के प्रावधान को हटाने की मांग निजी विद्यालयों द्वारा की गयी, जिस पर महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा द्वारा अवगत कराया गया कि जो छात्र सम्प्राप्ति स्तर को प्राप्त नहीं कर पाते उनका इस प्रकार पुनः उपचारात्मक शिक्षण किया जाये तत्पश्चात् पुनः उनकी परीक्षा ली जाये ताकि वे अपेक्षित स्तर को प्राप्त कर सकें।
विद्यालयी शिक्षा मंत्री ने निजी विद्यालयों से अपेक्षा रखी कि प्रदेश को शिक्षा हब बनाने के लिए संयुक्त प्रयास किये जाने चाहिए और एक लाख विदेशी छात्रों को उत्तराखण्ड राज्य में शिक्षण दिये जाने का लक्ष्य रखा गया। उन्होंने यह भी कहा कि निजी विद्यालय जो सक्षम हैं वे पर्वतीय क्षेत्रों में भी अपना एक-एक विद्यालय खोलने की व्यवस्था करें जिस हेतु आवश्यक सुविधा यथा बिजली, पानी, सड़क आदि जो भी हो सरकार द्वारा सुलभ करायी जायेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि 01 से 19 वर्ष के 45 लाख बच्चे निजी और राजकीय विद्यालय में अध्ययनरत हैं, उनका हर माह स्वास्थ्य परीक्षण होगा जिसके लिए कैलेण्डर बनाया जायेगा। जिसमें सभी बच्चे लाभान्वित होंगे। छात्रों में अध्यापन की प्रवृति को बढ़ावा देने के लिए पुस्तकालयों को आर्कषित और सुसज्जित बनाया जायेगा। 100 प्रतिशत साक्षरता हासिल करने का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु न्यून साक्षरता दर वाले जनपद हरिद्वार एवं ऊधम सिंह नगर पर विशेष ध्यान दिया जाय। प्रदेश में एक भी बच्चा स्कूल से वंचित नहीं रहे इस हेतु घुमन्तु परिवारों के बच्चों को भी उनके कार्यस्थल पर ही शिक्षण प्रदान किया जायेगा।
इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि प्रदेश के विद्यालयों में अध्ययनरत कोई भी छात्र जमीन पर नहीं बैठेगा चटाई मुक्त अभियान के तहत छः माह के अन्तर्गत विद्यालयों में छात्रों को कुर्सी मेज उपलब्ध कराया जायेगा। विद्यालयों में छात्र शिक्षक अनुपात के अनुसार 80% शिक्षक ही कार्यरत हैं। उन्होंने एक साल के अन्तर्गत इस लक्ष्य को 95% हासिल करने का संकल्प लिया। प्रत्येक विद्यालय शौचालय, बिजली, पानी, लैब, खेल के सामान से सुसज्जित होगा ग्रीन कैम्पस तैयार कर विद्यालयों को पर्यावर्णीय अनुकूल बनाया जायेगा। अशासकीय विद्यालयों के रिक्त पड़े पदों को आयोग द्वारा शीघ्र भरा जायेगा। उन्होंने निर्देश दिये कि जनपदीय अधिकारी प्रत्येक तीन माह में एक बार निजी विद्यालयों के साथ बैठक करेंगे। इसके अतिरिक्त शिक्षा के समग्र विकास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा आयोग गठित किया जायेगा। इसी तर्ज पर राज्य में भी राज्य शिक्षा आयोग का गठन किया जायेगा।