देहरादून। पुलिस ने रेसकोर्स मे हुई लाखो की लूट का खुलासा करते हुए 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जे से लूटी गयी लगभग 12 लाख रूपये की बेश्कीमती घडियां, लाइसेंसी रिवाल्वर, इग्निस कार व अन्य अवैध असलहे बरामद किये।
घटना के अनुसार 28 नवंबर को गुरमिन्दर सिह सरना निवासी डी-21 रेसकोर्स देहरादून ने थाना नेहरु कालोनी मे रिपोर्ट दर्ज कराई कि सुबह 04:30 बजे अपने घर के बाहर सुबह की सैर को निकलने ही वाले थे कि तभी तीन अज्ञात लोगों ने उन्हें अचानक दबोच लिया और उन्हें घर के अन्दर ले जाकर बन्धक बनाकर उनके साथ आसलहों के दम पर मारपीट की गयी और हाथ पैर बाँधकर उनके घर से करीब 04 लाख रुपये नगद, इगनिस कार सं0: यूके-07-एफजी-6589 व 06 महंगी घड़ियाँ करीब 12 लाख की असलहों के दम पर लूट कर ले गये।
घटना के खुलासे के लिए पुलिस की 5 टीमे गठित की गयी। गठित टीमों को उत्तराखण्ड व बाहरी राज्यों हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब व चंडीगढ़ रवाना किया गया। टीमों द्वारा घटना स्थल के आस-पास तथा मार्ग के करीब 700 सीसीटीवी कैमरों की फुटेजों का गहनता से अवलोकन किया गया। साथ ही मुखबिर तन्त्र को सक्रिय किया गया। टीमों द्वारा लगातार किये जा रहे प्रयास तथा मुखबिर की सूचना के माध्यम से पुलिस टीम द्वारा गहनता से संदिग्धों से पूछताछ व छानबीन कर सूचनाओं का संकलन करते हुए दिनांक: 13 दिसंबर की रात्रि में आरोपी अतुल राणा को उसके गांव हसनपुर, मेरठ उप्र को गिरफ्तार किया गया। जिससे पूछताछ मे जानकारी हासिल कर अन्य तीन आरोपियों सुशील कुमार, अमृत तथा दीपक को आज प्रात: आशारोडी देहरादून से गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के कब्जे से लूट का माल तथा अवैध हथियार बरामद किये गये। घटना से पूर्व आरोपियों द्वारा ग्रेटर नोयडा उप्र में एक डाक्टर का अपहरण कर पाँच करोड़ की फिरौती माँगी गयी थी। इसके अलावा मन्नापुरम गोल्ड फाईनेन्स से करीब 15 किलो सोने की लूट की गयी थी। जिसमें आरोपी फरार चल रहे थे। आरोपियों के कब्जे से बरामद पिस्टल, कारतूस व अवैध तमन्चे के आधार पर अलग से आर्म्स एक्ट के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया। आरोपियों के विरूद्ध बाहरी राज्यो में लूट, हत्या, मारपीट व डकैती के कई अन्य अभियोग पंजीकृत हैं।
मुख्य अभियुक्त सुशील कुमार ने पूछताछ पर बताया कि मैं बीए पास हूँ और मैं गाजियाबाद में ट्रान्सपोर्टर का काम करता था। डेढ साल पहले मैं देहरादून रेसकोर्स में अपने दोस्त जितेन्द्र के पास आया था जो सरदार गुरमिन्दर सिह जी के घर के बगल में एक आँफिस में काम करता था। जितेन्द्र के साथ दीपक भी रहता था, जो मेरे गाँव का ही है। हम कभी कभार उसके पास घूमने आ जाते थे। डेढ साल पहले मैं जितेन्द्र के पास आया था और हमने उस रात काफी दारु पी थी। सुबह-सुबह मैंने शोर शराबा सुनकर मैं बाहर आया तो देखा जितेन्द्र बगल में सरदार जी के साथ बेल काटने को लेकर बहस कर रहा था। मैने जितेन्द्र को चुप कराया और अन्दर ले गया तब जितेन्द्र ने बताया कि ये सरदार बडा पैसे का घमन्ड दिखाता है तथा इसके आगे पीछे कोई नहीं है। इस बीच मैं अपने पुराने केसों की पैरवी के लिये पैसे की कमी के कारण काफी परेशान चल रहा था। मैने अतुल जो मुझे मेरठ जेल में मिला था और पैसों की तंगी से जूझ रहा था के साथ मिलकर सरदार को लूटने का एक प्लान बनाया। जिसमें उसने अपने एक दोस्त विशाल को भी अपने प्लान के बारे में बताया। 25 नवम्बर को मैंने मेरे गाँव के दीपक जो कि मेरा अच्छा दोस्त है और उसके पास क्रूज कार है, और वो देहरादून में रहकर पढ़ाई भी कर चुका है को अपने प्लान के बारे में बताया। हम लोग देहरादून आये व रेसकोर्स पैट्रोल पम्प के पास शराब पी व गाड़ी से ही सरदार जी के घर की रेकी की व उसके बाद वापस मेरठ चले गये। मैने अतुल व विशाल को पूरा प्लान बताया व गारंटी दी कि कोई हमें नहीं पकड़ सकता। प्लान के मुताबिक 27 नवंबर को शाम को 05-06 बजे हम मेरठ से चले। दीपक व अमृत को हमने गाड़ी लेकर बुला लिया। किन्तु गाड़ी का टायर पंचर होने के कारण हमें रात के 09-10 बज गये। तब हम पाँचों लोग खतौली दीपक की गाड़ी से आये व गाड़ी को दूर खड़ा कर खाना खाया। दीपक व अमृत को वापस भेज दिया और हम रोड़वेज की बस में अलग-अलग टिकट लेकर खतौली से देहरादून आईएसबीटी आ गये। रात दो बजे के करीब हम आईएसबीटी पहुँचे व एक आँटो 200/- रुपये में बुक कर सीएनजी पैट्रोल पम्प रेसकोर्स में उतर गये। थोड़ा पैदल चल कर हम तीनों सरदार जी के घर के बाहर पहुँचे। वहाँ एक पानी का टैंकर खड़ा था। हम लोग उसके पीछे छुपे गये। मैं दीवार कूदकर अन्दर गया और खिड़की से पूरे घर को देखा तो मुझे यकीन हो गया कि केवल एक कमरे को छोड़कर सारा घर खाली है। तब हम तीनों घर के पीछे खाली जगह में आड़ लेकर कम्बल औढ़कर बैठ गये हमें लगा कि सरदार जी सुबह सात बजे के करीब बाहर आयेंगे किन्तु हमने रात्रि समय 03ः30 बजे के बाथरुम से पानी की आवाज सुनी,हमें लगा कि सरदार पेशाब करके सो जायेगा। किन्तु सुबह 04ः00 बजे के करीब हमें गेट का ताला खुलने की आवाज सुनायी दी और थोड़ी देर में सरदार जी बाहर का ताला खोलकर दुबारा बन्द करने लगे तो हमने उन्हें दबोच लिय और धमकी दी कि यदि जिन्दगी चाहते हो तो हमारा सहयोग करो वरना जान से मार देंगे। सरदार ने डर के मारे हमारा पूरा सहयोग किया और हमने उन्हें कमरे में बिठाया व पैसे के बारे में पूछा तो उन्होंने 02-02 हजार रुपये के 25-30 नोट दिये। हमनें और पैसों के बारे में पूछा तो कहने लगे कि मेरे पास इसने ही पैसे हैं। हमारे द्वारा डराने पर सरदार जी ने घर में अलमारी में रखे सारे पैसे हमें दे दिये। फिर हमनें दूसरे कमरे की अलमारी को खंगाला तो वहाँ कुछ नहीं मिला केवल एक रिवाल्वर मिला जिसे अतुल ने कहा कि ये मैं लेकर जाऊंगा। फिर हमें एक घड़ी का बक्सा मिला जिसमें बहुत सारी घड़ियाँ थी। जिनमें से मैंने 06 घड़ियाँ अपने पास रख ली व घर में और जो भी सामान हाथ लगा उसे एक बैग में रखकर सरदार जी की गाडी की चाबी छीन ली। सरदार जी के हाथ पैर व मुहं पर टेप लगा दी। इसके पश्चात हम उनकी इग्निस कार लेकर हम गेट से निकलने लगे तो कार का बम्पर दीवाल की साईड में लग गया व आधा झड़ने लगा। हम गेट खोलकर बाहर निकल गये और गेट को खुला ही छोड़ दिया। हम सीधे शामली पहुँच गये वहाँ विशाल किसी गाँव के पास से हमें मेरठ के पास ले गया। जहाँ हमने पैसों का बंटवारा किया मैंने उन दोनों को डेढ़ लाख रुपये दिये और उन्होंने मुझे मोदीपुरम बाईपास के पास छोड़ दिया। मैंने उन्हें बताया था कि गाड़ी को भी ठिकाने लगा देना। मैं वहाँ से मेरठ के एक होटल में शाम 04ः00 बजे पहुँच कर रुक गया। मैंने गड्डियों को शराब ठेके व दुकानदारों से बदलवाकर बडे नोट ले लिये। तब अगले दिन मैंने दीपक व अमृत को फोन कर अपने पास बुला लिया व हम गाड़ी में ही घूमते रहे इस बीच हम मनाली रोहतांग गये व खूब आय्याशी की। लेकिन मेरी किस्मत खराब थी जो हमारी गाड़ी बार-बाऱ खराब हो गयी। जिसमें काफी रुपये लग गये व अय्याशी में सारे पैसे खतम हो गये। तब मैंने दीपक व अमृत के साथ मिलकर दोबारा देहरादून जाने की योजना बनाई। मैंने ही इन लोगों को तमंचे दिलवाये थे। आज हम देहरादून में पुन: किसी ऐसे घर की तलाश में थे जहां पर हम चोरी या लूट की घटना को अजांम देकर पैसों का इंतजाम कर सकें। मैं पहले भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे चुका हूं इसी प्रकार की घटना पिछले महीने की 14 व 15 तारीख को मैने अपने साथियों के साथ मेरठ भवाना रोड पर गंगानगर क्षेत्र मे भी की थी। वहां की पुलिस हमें ढूंढ रही थी इस लिए भी हम देहरादून आ रहे थे। जहां पुलिस की सक्रियता के चलते हम पकडे गये।