देहरादून/यमुनोत्री। उत्तराखंड के चार धामों में विशिष्ट महत्व रखनेवाले श्री यमुनोत्री धाम के कपाट विधि- विधान से समारोह पूर्वक मां यमुना के जयकारों के साथ आज अपराह्न 12 बजकर 09 मिनट पर शीतकाल हेतु बंद हो गये हैं। मान्यता है कि मां यमुना मृत्यु के देवता धर्मराज की बहिन हैं। मां यमुना के दर्शन मात्र से प्राणियों में मृत्यु भय समाप्त हो जाता है।
मान्यता है कि भैया दूज के दिन यम देव अपनी बहिन यमुना जी को मिलने पृथ्वी लोक तक आते हैं। कहते हैं कि मां यमुना को यम देव ने वरदान दिया था कि भैया दूज के दिन जो भाई अपनी बहिन का आदर -सत्कार करेगा उसके संताप मिट जायेंगे। वह मृत्यु भय तक से मुक्त हो जायेगा। मां यमुना के एक भाई शनि देव भी है।
आज श्री यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया में यमुना जी के भाई शनिदेव श्री सोमेश्वर देवता खरशाली से डोली में बैठकर अपनी बहिन को मायके बुलाने यमुनोत्री धाम पहुंचे।
इसी के साथ मां यमुना की स्तुति के साथ ही विधि-विधान से यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यात्रा के सफल संचालन के लिये सभी संबंधित को बधाई दी है।
कपाट बंद होने के बाद मां यमुना जी की उत्सव डोली शनिदेव सोमेश्वर देवता की डोली के साथ शीतकालीन प्रवास खरशाली( खुशीमठ) रवाना हो गयी तथा अपने शीतकालीन प्रवास में विराजमान हो गयी है।
इस यात्रा वर्ष 4 लाख 86 हजार तीर्थयात्रियों ने यमुनोत्री धाम के दर्शनों का पुण्य अर्जित किया।
अवसर पर श्री यमुनोत्री मंदिर समिति के पूर्व उपाध्यक्ष पवन उनियाल, सचिव सुरेश उनियाल, उपाध्यक्ष राजस्वरूप उनियाल, संदीप शास्त्री जी,प्रदीप उनियाल,प्रह्लाद उनियाल, तहसीलदार बड़कोट शिशुपाल सिंह असवाल, प्रधान यशपाल राणा पदाधिकारीगण एवं पुलिस -प्रशासन के प्रतिनिधि मौजूद रहे।