देहरादून। नियुक्त मे घोटाले को लेकर चल रही जांच पर अब भाजपा और कांग्रेस के बीच वार पलटवार शुरू हो गया है। कांग्रेस ने दिल्ली मे आयोजित प्रेस वार्ता मे सरकार पर कड़ा हमला बोला और मामले की सीबीआई जांच की मांग की। पार्टी के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और विधान सभा मे उप नेता प्रतिपक्ष ने विधान सभा मे कबीना मंत्रियो, उनके नजदीकी, ओएसडी तथा पीआरओ के परिजनों को नौकरी दिये जाने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि जब सब कुछ पहले ही तय है तो फिर परीक्षाओं का कोई औचित्य नही है। गड़बड़ी की सूचना लम्बे समय से थी, लेकिन सरकार मामलो को दबा रही थी।
कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा की उन्होंने वन विभाग मे हुई भर्ती का मामला सदन मे उठाया और तथ्य भी सामने रखे, लेकिन सरकार ने जांच का आश्वसन दिया और मामले को दबा दिया। उन्होंने कहा की पूर्व मे चयन आयोग के अध्यक्ष आरबीएस रावत के द्वारा दबाव बनाने को लेकर दो सदस्यो ने इस्तीफा दिया था और सरकार के संज्ञान मे लाये जाने के बाद भी उन्होंने मामला दबा दिया। कांग्रेस का कहना है कि अभी छोटी मछली पकड़ मे आयी है और की नौकरशाह और सफेदपोश पकड़ से बाहर है। एसटीएफ का दायरा राज्य के अधीन और सीमित है लिहाजा इसकी सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए।
अपने राजनैतिक पुनर्वास की जुगत मे है कांग्रेस:चौहान
कांग्रेस के वार पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कांग्रेस प्रभारी और अध्यक्ष के द्वारा राज्य मे भर्ती प्रकरण पर दिये बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि भाजपा घपले घोटालों कि जांच कर युवा बेरोजगारों को न्याय दिलाने की कोशिश कर रही है, जबकि कांग्रेस का मक़सद महज राजनीति करना और राजनीति मे अपना पुनर्वास करना है।
पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि उसे बेरोजगारों के हितों की कोई फ़िक्र नही है और वह भी मामले मे दिखावा कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य मे घपले घोटालों की नीव रखने की जनक कांग्रेस ही रही है। जबकि भाजपा इस भाव से कार्य कर रही है की गड़बड़ी जहाँ और जिस समय हुई उसकी जांच हो। मुख्यमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके है कि घपला किस काल खंड का है इस भाव से नही देखा जाएगा। अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के द्वारा की गयी परीक्षाओं की जांच मे जुटी एसटीएफ के बेहतर प्रदर्शन को सरहाने के बजाय कांग्रेस उसकी मंशा पर ही सवाल उठा रही है। जबकि भाजपा ने नैतिक साहस दिखाकर खुद जांच को आगे आयी। विधान सभा मे हुई नियुक्तियों पर हल्ला मचाने वाली कांग्रेस को यह सोचने की जरूरत है कि उसकी सरकार मे जब विधान सभा मे 158 नियुक्ति हुई तब वह उन नियुक्तियों को सही ठहराने मे लगी थी। उसमे तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष के परिवार 13 लोगों जिनमें उनके पुत्र और पुत्र बधू को भी नौकरी मिली थी। इसके अलावा अन्य कई कांग्रेसी नेताओ के रिश्तेदारों को भी विधानसभा में नौकरियाँ दी गई हैं । हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधान सभा मे भर्तियों की जांच को लेकर सहमति जता दी है। 2015-16 मे हुए दरोगा भर्ती घोटाले की जांच भी विजिलेंस को वर्तमान सरकार ने सौंपी है। कांग्रेस के कार्यकाल मे अनगिनत घपले घोटाले हुए और इसी वजह से उसे जनता ने हासिये पर डाल दिया।
चौहान ने कहा कि 2012 से 2017 तक की स्टिंग तत्कालीन सरकार और सीएम के हुए लेकिन कांग्रेस हाईकमान खुली आँख से देखता रहा।
चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐसा साहस दिखाया है कि जिन भर्तियो मे गड़बड़ी की आशंका है उनकी जांच कराई जा रही है। वहीं कांग्रेस के समय जांच तो दूर महज लीपापोथी की जाती रही और कांग्रेस हाईकमान भी दूर से तमाशबीन बनकर चुप रहा। उन्होंने कहा की कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज्य के नेताओ को समय पर सीख देते तो भ्रष्टाचार की बुनियाद नही पड़ती। पूर्व मे हुई गड़बड़ियों का संज्ञान लेकर सरकार जांच करा रही है। यह भविष्य मे एक नजीर बनेगी और प्रदर्शिता लाएगी। उन्होंने कहा कि अब भ्रष्टाचार पर उपदेश दे रहे कांग्रेस के केन्द्रीय नेता तब खामोश और चुप रहे जब राज्य मे उनके कर्ता धर्ता घोटालों की इमारत खड़े करते रहे।