देहरादून। उत्तराखंड गठन के 21 बरस पूरे हो चुके है, लेकिन गाँवों की तस्वीर नही बदल पायी है। पलायन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार कारक शिक्षा और स्वास्थ्य के बाद आवाजाही का संकट रहा है। सुदूरवर्ती अंचलो की स्थिति यह है कि सयूंक्त उत्तर प्रदेश मे सालों से उनकी जो समस्यायें थी अब अलग राज्य बनने के 20 साल बाद भी जस के तस है। नतीजा यह है कि ग्रामीण अंचलों मे स्वरोजगार या अन्य वजह से रह रहे लोग संसाधनों के अभाव मे पलायन कर रहे है और गाँव खाली होकर घोस्ट विलेज मे तब्दील हो रहे है।
मामला रिखणीखाल प्रखंड के ग्राम पंचायत मुछेलगाँव और ग्राम पंचायत द्वारी के तोक पातल नामक जगह के मध्य कतेडा नदी पर पुल की मांग है। यह नदी बरसात के दिनों में रौद्र रूप धारण कर लेती है। ग्राम पंचायत मुछेलगाँव के अन्तर्गत ग्राम गाजा,गलैगाँव,डिन्ड,डबराड आदि गाँवो के दर्जनों स्कूली छात्र छात्राये राजकीय इन्टर कॉलेज द्वारी तक पैदल ही शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं व काश्तकार भी नदी के पार खेती कार्यो के लिए यही से आवाजाही करते है। उफनती नदी को पार कर जोखिम लेना इनका शगल भी बन गया है।
ऐसा नही कि ग्रामीणों ने इस नदी पर 24 मीटर के पुल को लेकर मांग नही उठाई। ब्लॉक से लेकर विधायक, साँसद और कभी कभार क्षेत्र भ्रमण पर आये मंत्रियो समेत सचिवालय तक भी लोग भटकते रहे, लेकिन नतीजा सिफ़र।
स्थानीय लोगों की मांग पर सांसद गढवाल तीरथ सिंह रावत अक्टूबर 2020 में हामी भर दी। लोक निर्माण विभाग लैंसडौन ने ऑकणन बनाकर जिला विकास अधिकारी पौड़ी को भेज दिया। उसके पश्चात पौड़ी से प्रस्ताव प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को स्वीकृति के लिए भेज दिया गया। विभाग द्वारा टाल मटोल के बाद सांसद ने 20 मई 2022 को प्रमुख सचिव को प्रस्ताव भेजा। अब विभाग बजट न होने का राग अलाप रहा है।
विभागों की कार्यशैली और सरकार की मंशा पर सवाल तब लाजिमी है, जब एक बरसात मे स्मार्ट सिटी मे सैकड़ों करोड़ की सड़के बह जाती है तो हाल ही मे गिरफ़्त मे आये नकल माफिया हाकम सिंह की बीमार माँ को लेने कथित रूप से राज्य सरकार के हेलीकॉप्टर पहुचने की बात सामने आ रही है। ऐसे मे जुगाड की ऐसी व्यवस्था मे विकास की किरण गाँव तक कैसे पहुंचेगी।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रभुपाल सिंह का कहना है कि 70 के दशक से लोग इस नदी पर पुल की मांग कर रहे है। हालांकि साधन न होने और खेती किसानी पर भी असर के चलते पलायन तेजी से हो रहा है। इस क्षेत्र मे सड़क संपर्क और पुल बड़ी समस्या रही है। क्षेत्र से बडखेत इंटर कॉलेज और द्वारी के बीच बरसात छात्र हमेशा खतरे के बीच नदी को पार करते है। हालांकि क्षेत्र कि इस मांग को 50 साल से अधिक हो गए है।