आयुर्वेदिक विवि में भ्रष्टाचार और नियुक्तियों की विजिलेंस जांच के आदेश – News Debate

आयुर्वेदिक विवि में भ्रष्टाचार और नियुक्तियों की विजिलेंस जांच के आदेश

कुलपति भी आये विजिलेंस जांच के दायरे मे

देहरादून। शासन स्तर से आयुर्वेदिक विवि में नियुक्तियों और भ्रष्टाचार के मामलों मे विजिलेंस जांच के आदेश हो गये हैं। शासन की ओर से बुधवार को इसके निर्देश जारी कर दिए गये है।

लंबे समय से वित्तीय अनियमितता और नियुक्ति के मामलों मे चर्चाओं में रहे आयुर्वेदिक विश्व विधालय में नियुक्ति और भ्रष्टाचार के मामलो की जांच के लिए विगत माह शासन स्तर पर एक समिति गठित की गई थी,लेकिन निर्धारित समय के बावजूद समिति अभी तक जांच आगे नहीं बढ़ा सकी है।

गौरतलब है कि विवि में कुलपति सुनील जोशी की नियुक्ति की पात्रता को लेकर एक याचिका पर हाईकोर्ट मे सुनवाई चल रही है और शासन भी इस सवाल खड़े कर चुका है। नियम विरुद्ध नियुक्ति के मामले मे अब कुलपति भी विजिलेंस जांच के दायरे मे आ गये है। कुलपति के खिलाफ जांच की अनुमति के लिए शासन स्तर से राजभवन को भी पत्र भेजा गया था जिसकी अनुमति मिल चुकी है। राजभवन ने कुलपति की नियुक्ति की पात्रता के सम्बन्ध मे खामियों की जांच को लेकर उठाए गये कदमों को लेकर शासन से पूछा है। शासन ने विवि में कार्यवाहक रजिस्ट्रार राजेश कुमार आदाना की विवि से संबद्धता समाप्त कर मूल विभाग में भेजने के निर्देश दिए थे। लेकिन वह विवि में बने हुए हैं। नये रजिस्ट्रार को अभी कार्यभार नहीं सौंपा गया है।

हालांकि वित्त अधिकारी अमित जैन भी अब सवालों के घेरे में है। शासन स्तर से उनको नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब माँगा गया है। रजिस्ट्रार राजेश कुमार की संबद्धता समाप्त होने के बाद भी वेतन आहरित होने के मामले मे शासन सख्त है। अदालत मे चल रहे प्रकरण के संबंध मे आयोजित बैठक मे बुलाने पर भी वह नहीं आये। मामलो में जवाब न देने पर शासन ने अनुशसनहीनता की कार्यवाही की चेतावनी दी है।

जांच के बिंदु
योग अनुदेशकों के पदों पर जारी रोस्टर को बदलने, माइक्रोबायोलॉजिस्ट के पदों पर भर्ती में नियमों का अनुपालन न करने, बायोमेडिकल संकाय, संस्कृत में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं पंचकर्म सहायक के पदों पर विज्ञप्ति प्रकाशित करने और फिर रद्द करने, विवि में पद न होते हुए भी संस्कृत शिक्षकों को प्रमोशन एवं एसीपी का भुगतान करने, बिना शासन की अनुमति बार-बार विवि की ओर से विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकालने और रोक लगाने, विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विवि की ओर से गठित समितियों के गठन की विस्तृत सूचना शासन को न देने के साथ ही पीआरडी के माध्यम से 60 से अधिक युवाओं को भर्ती करने करने के मामलो में जांच की जाएगी।

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