विरासत में पहली बार लगी अफगानी चाचा-भतीजे के ड्राईफ्रूट्स स्टॉल – News Debate

विरासत में पहली बार लगी अफगानी चाचा-भतीजे के ड्राईफ्रूट्स स्टॉल

विरासत में आने से पहले हाजी अली, अकरम और शाही अजमल 6 महीने से सीख रहे थे हिंदी

देहरादून। बी आर अंबेडकर स्टेडियम कौलागढ़ में चल रहे विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल में इस बार काबुली मेवा अफगानिस्तान ड्राई फ्रूट का स्टाल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अफगानिस्तान से आए हुए चाचा भतीजे ने पहली बार विरासत में लगाया है। स्टाल चला रहे

हाजी अली, अकरम और शाही अजमल बताते हैं कि सभी ने विरासत में आने के लिए सबसे पहले हिंदी बोलना, लिखना और पढ़ना शुरू किया। हम लोग पिछले 6 महीने से देहरादून में लगने वाले विरासत फेस्टिवल का इंतजार कर रहे थे और इसी दौरान हिंदी भाषा को सीख रहे थे। हम पहली बार देहरादून में आयोजित होने वाले इस विरासत फेस्टिवल में आयें हैं और अफगानिस्तान से भारत के लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के पोष्टिक ड्राईफ्रूटस और नट्स लेकर आये हैं। जिसमें पिस्ता, अंजीर, काजू बादाम, मामरा बदाम, चिलगोजा, अखरोट, खुमानी, केसर, बदाम तेल, खजूर, अफगानी हींग के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के किशमिश भी लायें है।

चाचा हाजी अली और आसिफ नूरी बताते हैं कि हम जो अफगानिस्तान से ड्राई फ्रूट्स लाए हैं उसमें आप आधे अखरोट के साथ दो खजूर खा ले तो वह आपके शरीर को दिन भर के लिए ऊर्जा प्रदान करेगा और तरोताजा रखेगा। ऐसे ही विभिन्न प्रकार के ड्राई फ्रूट्स के अपने-अपने गुण हैं। वे अपने स्टाल में अफगानी ग्रीन टी भी लोगों को पिलाते हैं और बताते हैं कि यह बहुत ही रिफ्रेशिंग है और आपको सर्दी जुकाम के साथ -साथ थकान और आलस को भी दूर कर देगा। वही शाही अजमल आगे कहते हैं कि देहरादून के लोगों को मेरा स्टाल बहुत पसंद आ रहा है एवं बहुत लोगों ने हमसे सामान खरीदने के साथ हमारी तारीफ भी की है। वे कहते हैं मुझे बहुत अच्छा लगता है हिंदी में लोगों से बात करना। वैसे तो मैं पहली बार इतने ज्यादा ही लोगों से हिंदी में बात कर रहा हूं। मुझे देहरादून आकर पता चला कि अफगानिस्तान से लोग भारत क्यों आना चाहते हैं। हमें यहां की संस्कृति और परंपरा भी बहुत पसंद आ रही है। मैं हर शाम विरासत में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेता हूं और बैठकर वहां जो भी प्रस्तुतियां चल रही होती है देखता हूं। कई बार हम चाचा भतीजे में से एक स्टॉल पर रहता है और एक पंडाल में प्रोग्राम देखते रहते है। मैंने फैसला किया है कि अब जब भी विरासत देहरादून में आयोजित होगा मैं काबुल से देहरादून अपना स्टॉल लेकर जरूर आऊंगा और अगली बार मैं कोशिश करूंगा कि अपने बच्चों को भी देहरादून लेकर आऊं और उन्हें भारत की संस्कृति परंपरा और लोगों से मिलवा सकूं। मुझे देहरादून के लोगों से बहुत प्यार मिल रहा है और यह हमारे लिए गर्व की बात है कि अफगानिस्तान से भारत के लोग इतनी मोहब्बत करते हैं और अफगानिस्तान के ड्राईफ्रूट्स को इतना पसंद कर रहे हैं।

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