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चमोली। जनपद चमोली के गैरसैंण स्थित सांसद आदर्श ग्राम लामबगड़ मे आरक्षित वन भूमि से अतिक्रमण हटाने मे वन महकमें के पसीने छूट रहे हैं।
मामला सांसद आदर्श ग्राम लामबगड़ ग्राम पंचायत की सीमा वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने को लेकर है। सीमा से लगे आरक्षित वन भूमि पर वन विभाग द्वारा 2020 मे राजस्व के साथ जॉइंट सर्वे किया गया। तत्पश्चात अप्रैल 2022 मे विभागीय सर्वेयर से सर्वे कराया गया तो इस दौरान संज्ञान मे आया कि कई हैक्टेयर भूमि पर आवासीय मकान, गौशालाएं और खेती का कार्य चल रहा था। इसक आलावा निजी बगीचे भी सामने आये।
अतिक्रमण चिंहित होने के बाद वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी आँखे मूंद कर बैठ गए। ग्रामीणों ने जब इसकी शिकायत वन मुख्यालय को की तो वन मुख्यालय से अतिक्रमण को हटाने एव्ं सीमांकन के निर्देश डीएफओ केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग को दी गयी।
16 मई 2023 को डीएफओ केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने रेंज अधिकारी को तीन दिन मे अतिक्रमण हटाने के निर्देश और कार्यवाही से अवगत कराने को कहा। विभाग द्वारा अतिक्रमण हटाने को लेकर चुप्पी साधने से अब फिर सवाल उठने लगे है।
इससे पहले भी 2 मई 2022 को भी डीएफओ स्तर से अतिक्रमण हटाने को लेकर पत्र जारी किया गया था। तब अतिक्रमणकारियों और सरंक्षण देने वालो की सूची भी विभागीय अधिकारियों से मांगी गयी थी।
अतिक्रमण हटाना अब पहेली बन गया है। इस बार भी डीएफओ के पत्र को लेकर कोई हलचल नही है। मामले मे डीएफओ केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग आई एस नेगी ने कहा कि अतिक्रमणकारियों को अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस जारी किये गए है। वन क्षेत्राधिकारी से रिपोर्ट मांगी गयी है।
फिलहाल जिस तरह से वन भूमि को कब्जा मुक्त करने के लिए धामी सरकार मुहिम चला रही है वह अधिकारियों की मनमानी के चलते परवान नही चढ़ पा रही है। चिंहित अतिक्रमण उस ग्राम सभा से संबंधित है जहाँ पर भारत सरकार की कई योजनाएं चल रही है। वन क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने को लेकर चल रहा अभियान लामबगड़ क्षेत्र मे तो दूर की कौड़ी साबित हो रही है।