“धौल्या उडियारी” को क्षतिग्रस्त करने से आक्रोश, क्षेत्रवासियों ने दी आंदोलन की चेतावनी – News Debate

“धौल्या उडियारी” को क्षतिग्रस्त करने से आक्रोश, क्षेत्रवासियों ने दी आंदोलन की चेतावनी

एसडीएम के हवाले से सीएम को भेजा ज्ञापन, सौंदर्यीकरण को पूर्व की भाँति करने की मांग

लैंसडौन। लैंसडौन क्षेत्र के अन्तर्गत तल्ला बदलपुर स्थित सुप्रसिद्ध पौराणिक व ऐतिहासिक सिद्ध मन्दिर धौल्या उडियारी को अतिक्रमण हटाने के नाम पर खुर्द बुर्द करने का क्षेत्रीय जनता ने कड़ा विरोध जताया है।

आक्रोशित ग्रामीणों ने मनोज दास के नेतृत्व में उपजिलाधिकारी लैंसडौन के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को ज्ञापन प्रेषित किया। क्षेत्रीय जनता ने जनांदोलन की चेतावनी देते हुए मन्दिर परिसर में वन विभाग द्वारा क्षतिग्रस्त सौंदर्यीकरण को पुनः ठीक कराने की मांग की। मनोज दास ने आरोप लगाया कि सरकार ऐतिहासिक धरोहरों को मिटाना चाहती है। वन विभाग के गठन से पूर्व निर्मित धार्मिक आस्था के प्रतीकों को हटाने का अधिकार वन विभाग और प्रशासन को प्राप्त नहीं है। सरकार को धार्मिक आस्था व मान्यताओं से छेड़छाड़ की ओछी राजनीति से बाज आये। उन्होंने कहा कि मंदिर की घंटिया भी अतिक्रमण हटाने के नाम पर गायब कर दी गयी जो श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड है। इसे बर्दाश्त नही किया जायेगा।

इस मौके पर संजय शाह, सुदामा डोबरियाल, सन्तूदास, शिव प्रकाश कुलाश्री, जयकृष्ण ध्यानी, दिलीप कुमार, सुभाष भारद्वाज, जैमल, महिपाल, रोशन शाह और उपकार समिति ढौंटियाल से अशोक नेगी टैक्सी यूनियन से सुरेन्द्र रावत, महेंद्र, बेबी चौहान आदि मौजूद थे।

क्या है मान्यता

सुदूर स्थित घने जंगल मे स्थित धौल्या उडियारी का वर्णन पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक दस्तावेजों मे मिलता है। मान्यता है कि पंवार वंश के पहले शासक महाराजा कनक पाल और विमला के पुत्र सिद्ध बाबा कली हरपाल आदि शक्ति गोलू देवता के मित्र और गुरु गोरखनाथ के शिष्य थे। बाद मे इनके वंशजो द्वारा ग्वालियर मे प्रसिद्ध सहस्त्रबाहु के मंदिर का निर्माण भी राजा महिपाल द्वारा किया गया। धौल्या उडियारी में 100 साल से अधिक समय से गढवाल क्षेत्र के श्रद्धालु पूजा, हवन और यज्ञ आदि करते रहे है। इस शक्तिपीठ की महत्ता को इससे लगाया जा सकता है कि नई फसल मे अन्न का एक अलग हिस्सा (अग्याल) सिद्ध बाबा के नाम पर अलग निकाला जाता है।

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