डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का नाम ‘हार्वर्ड वर्ड रिकॉर्ड’ में भी दर्ज – News Debate

डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का नाम ‘हार्वर्ड वर्ड रिकॉर्ड’ में भी दर्ज

देहरादून। डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के साहित्य पर हिमालय विरासत न्यास एवं स्याही ब्लू बुक्स द्वारा विगत वर्ष शुरू की गई ऑनलाइन श्रृंखला के 75 ऐपिसोड पूर्ण होने और डॉ. निशंक का नाम ‘वर्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड’ के पश्चात ‘हार्वर्ड वर्ड रिकॉर्ड ’ लंदन मे भी दर्ज होने के उपरान्त ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन आश्रम मे दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोेजन किया जा रहा है। इसमे देश और विदेशों के 400 से अधिक साहित्यकार, समीक्षक एवं शिक्षाविद भाग ले रहे हैं। इसी संगोष्ठी में डॉ. निशंक को ‘हार्वर्ड वर्ड रिकॉर्ड ’ लन्दन के प्रतिनिधि द्वारा विश्व कीर्तिमान का प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा।

गौरतलब है कि गत 16 फरवरी 2022 से डॉ. निशंक के साहित्य पर हिमालय विरासत न्यास उत्तराखण्ड एवं स्याही ब्लू बुक्स नई दिल्ली के द्वारा प्रत्येक रविवार को 4ः00 से 5ः00 बजे सांय को ‘डॉ. निशंक का रचना संसार’ नाम से ऑनलाइन संगाेष्ठी आयोजित की जाती रही है। इसके लगातार निर्वाध 50 श्रृंखलायें पूर्ण हाेने पर ‘वर्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड ’ द्वारा संज्ञान लिया गया और इसे विश्व कीर्तिमान घोषित किया गया। पुनः 75 श्रृंखलायें पूर्ण हाेने पर हार्वर्ड वर्ड रिकॉर्ड लंदन द्वारा भी डॉ. निशंक के नाम यह कीर्तिमान दिया गया। इस प्रकार डॉ. निशंक विश्व के ऐसे पहले साहित्यकार बन गये हैं, जिनके साहित्य पर लगातार बिना रूके सबसे लम्बी साहित्यिक चर्चा हुई है।

रचना संसार की हीरक जयन्ती ऋषिकेश के परामार्थ निकेतन आश्रम में दाे दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के रूप में मनाई जा रही है। अपनी तरह के इस साहित्यिक कुंभ में देश और विदेशों के 400 से अधिक साहित्यकार जमा हाे रहे हैं जो डॉ. निशंक के साहित्य पर चर्चा करेंगे।
संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी 16
अक्टूबर 2022 को करेंगे, जबकि 17 अक्टूबर 2022 को प्रदेश के राज्यपाल ले.ज. (से.नि.) गुरुमीत सिंह तथा विधान सभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु भूषण खंडूड़ी करेंगे।
संगोष्ठी में दाे दर्जन से अधिक देशाें के साहित्यकार और हिन्दी सेवी भी जुड़ेंगे। हिमालय विरासत न्यास की अध्यक्ष सुश्री आश्ना नेगी और संगाेष्ठी के संरक्षक डॉ. याेगेन्द्रनाथ शर्मा ‘अरुण’ ने बताया कि इस साहित्यिक महाकुंभ में देश के लगभग सभी राज्यों के हिन्दी सेवी, समीक्षक और शिक्षाविदों के अतिरिक्त अनेकाें विश्वविद्यालयों के कुलपति और उप कुलपति शिरकत करेंगे।

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