देहरादून। उतराखंड में सरकारों की अदला-बदली होती रही है,लेकिन मुख्यमंत्री को लेकर एक मिथक भी साथ चल रहा है। हालांकि यह सिलसिला राज्य गठन के बाद भाजपा की अंतरिम सरकार में मुख्यमंत्री रहे नित्यानंद स्वामी के चुनाव हारने से शुरू हुआ,लेकिन तब स्वामी सिटिंग सीएम नहीं थे। 2002 में कांग्रेस कांग्रेस की सरकार बनी और एन डी तिवारी मुख्यमंत्री बने और उसके बाद तिवारी चुनाव मैदान से दूर हो गये।
2007 में भाजपा की सरकार बनी तो भुवन चंद खंडूरी मुख्यमंत्री बने। लेकिन सिटिंग सीएम रहते हुए खंडूरी 2112 में चुनाव हार गये।
2012 में कांग्रेस सत्ता में लौटी और 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत दो जगह से चुनाव हार गये। 2017 में भाजपा फिर सत्ता में लौटी और चुनाव से 6 माह पूर्व धामी को सीएम बनाया गया। इसके अलावा धामी को पार्टी ने युवा चेहरे के तौर पर अगला मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। लेकिन परम्परा नहीं टूटी और खटीमा से पुष्कर सिंह धामी भी चुनाव हार गये। हार के कारण जो भी रहे हो, लेकिन राज्य में यह परम्परा जारी है।