देहरादून। दबे कुचले वर्ग की आवाज और सत्ता प्रतिष्ठानो के खिले मुखर रहे रूलक के संस्थापक पद्म श्री अवधेश कौशल का निधन हो गया। 86 वर्षीय कौशल ने मेक्स हॉस्पिटल मे आज सुबह आखिरी साँस ली।
कौशल ने 1972 मे चकराता से बंधुआ मज़दूरी के खिलाफ सफल आंदोलन के साथ दून घाटी मे माईनिंग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे लम्बी लड़ाई लड़ी और माईनिंग बंद कराने मे सफल रहे। उपक्षित वन गूजरों के अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई के बाद केंद्र सरकार ने वर्ष 2006 में शेड्यूल्ड ट्राइब्स एंड अदर ट्रेडिशनल फॉरेस्ट ड्वेल्स एक्ट में वन गूजरों को संरक्षित किया । अलग-अलग आयाम से यह लड़ाई अंतिम समय तक जारी रही ।गूजरों के परिवारों के लिए दूरस्थ क्षेत्रों में स्कूल संचालन, महिला अधिकारों और पंचायतीराज में महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए अवधेश कौशल रूलक संस्था के माध्यम से अंतिम समय तक प्रयासरत रहें हैं। कौशल सत्ता प्रतिष्ठानो के खिलाफ भी मुखर रहे। पूर्व मुख्यमंत्रियो को आवास और अन्य सुविधा को लेकर वह सुप्रीम कोर्ट तक गये और उनकी सुविधाये सीमित कराने मे भी सफल रहे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेन्द्र कुमार ने उनके निधन को राज्य के लिए आपूर्णिय क्षति बताया। उन्होंने कहा की स्व. कौशल ने हर वर्ग की समस्याओ को महसूस किया और जन सरोकारो के लिए समर्पित रहे। वह सदैव अपनी जीवटता के लिए जाने जाएँगे ।