रुड़की। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा (स्थापित 1897) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र सिंह तंवर ने कहा कि सामाजिक संगठनों को राजनीतिक गतिविधियों से परहेज कर समाज हित में कार्य करना चाहिए।
हिंदू हृदय सम्राट वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर नगर स्थित एक मोटल में आयोजित विचार गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि आज अनेक सामाजिक संगठनों द्वारा किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन एवं विरोध करने का जो रिवाज चल पड़ा है वह सामाजिक संगठनों के हित में नहीं है। सामाजिक संगठनों को राजनीति से दूर रहकर अपने अपने समाज हित में कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजा महाराजाओं द्वारा 1897 में स्थापित अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का कार्यकाल अदम्य साहस से परिपूर्ण राष्ट्रभक्ति एवं सामाजिक समरसता से भरा हुआ रहा है। देश में आर्थिक आधार पर आरक्षण एवं सामाजिक समरसता को लेकर महासभा ने अभी तक राष्ट्रव्यापी तीन रथ यात्रा निकाली हैं। जिसके चलते केंद्र सरकार को आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करना पड़ा। उन्होंने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वाभिमान के लिए पूरा जीवन संघर्ष कर अपनी मातृभूमि पर जान न्योछावर करने वाले देशभक्त महाराणा प्रताप के बिना हिंदुस्तान का इतिहास अधूरा है।
महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री अनिल सिंह चंदेल ने कहा कि अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए बनाए गए संगठनों ने क्षत्रिय समाज का बिखराव किया है। जबकि आज क्षत्रिय समाज को एकजुट होकर कार्य करने की जरुरत है। उन्होंने एक महासभा, एक झंडे, के तले एकत्रित होकर क्षत्रिय समाज को अपने उत्थान के लिए कार्य करने का आह्वान करते हुए कहा कि उठो, जागो और संगठित होकर समाज हित के लिए समर्पित हो जाओ। जब इस भावना से कार्य किया जाएगा तभी क्षत्रिय समाज की भावी पीढ़ी उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हो सकेगी।
विचार गोष्ठी में महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एडवोकेट अनिल कुमार पुंडीर, प्रणय प्रताप सिंह, महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पार्षद अनूप राणा, कुंवर संजीव कुशवाहा, प्रवीण कुशवाहा, आलोक सिंह पुंडीर, पूर्व डीएसपी भोजराज सिंह पुंडीर, एडवोकेट नरेश पुंडीर, प्रमोद पुंडीर, अमित सिंह राणा, दयाराम भाटी, जोनी चौहान, मोतीलाल पुंडीर, जयपाल कुशवाहा, करण सिंह ठाकुर आदि क्षत्रिय समाज के अनेक छत्रपों ने अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए क्षत्रिय समाज की एकजुटता पर बल दिया।