देहरादून। प्रदेश के छह सीमावर्ती जनपदों के कुल 722 मुख्य आरक्षी/आरक्षियों को अपने गृह जनपद में तैनाती दी गयी है। विभाग ने प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत बनाने और पलायन की समस्या को रोकने के लिए पुलिसकर्मियों को गृह जनपद में तैनाती देने का निर्णय लिया है।
डीजीपी अशोक कुमार द्वारा स्थानान्तरण नीति में संशोधन कर प्रदेश के छह सीमावर्ती जनपदों में पुलिसकर्मियों को अपने गृह जनपद में तैनाती देने के निर्णय से पुलिसकर्मियों को लाभ मिला। कई पुलिसकर्मियों ने गांव में अपने नए घरों का निर्माण करवाया व कई कर्मियों ने पुननिर्माण कर अपने घरों को व्यवस्थित किया। गांव में लोगों की संख्या में इजाफा होने से गांव की आर्थिकी में भी लगातार बढ़ोतरी हुई।
डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि उत्तराखण्ड शासन के समन्वय से यह पहल प्रारम्भ की गयी है। प्रदेश के छह सीमावर्ती जनपदों में बढ़ते पलायन की समस्या थी। चीन और नेपाल की सीमा से सटे होने के कारण आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से यह बहुत महत्वूर्ण जनपद हैं। पूर्व में इन जनपदों में प्रशासनिक आधार पर स्थानान्तरण किया जाता था। अच्छे पुलिसकर्मी यहां जाने के इच्छुक नहीं थे, जो सही नहीं था। इन दोनों समस्याओं को देखते हुए यह निर्णय लिया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम दिखने को मिल रहे हैं। पुलिसकर्मी स्वेच्छा से अपने गृह जनपदों में तैनाती हेतु आवेदन कर रहे हैं। स्वेच्छा से जाने के कारण वे मन लगाकर कार्य कर रहे हैं और ड्यूटी के साथ-साथ अपने परिवार को भी समय दे पा रहे हैं। पुलिस के 722 परिवारों के इस रिवर्स पलायन से गांवों की भी रौनक बढ़ी है और सीमावर्ती जनपदों की आंतरिक सुरक्षा भी मजबूत हुई है, जिससे एक स्थायित्व आया है।