देहरादून। प्रदेश में डेंगू विकराल रूप ले रहा है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक अब तक राज्य के छह जिलों में 746 मरीज मिले हैं। इनमें देहरादून में सबसे अधिक 468 डेंगू मरीज आये हैं।
शुक्रवार को तीन जिलों देहरादून, नैनीताल और पौड़ी में 22 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इसमें देहरादून जिले में 10, नैनीताल में छह, पौड़ी में छह मरीज मिले हैं। प्रदेश में छह जिलों में अब तक डेंगू के 746 मरीज मिल चुके हैं।
स्वास्थ्य विभाग की ओर सभी जिलों के सीएमओ को डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। छह जिलों में अब तक डेंगू के 746 मरीज मिल चुके हैं। देहरादून जिले में 468, हरिद्वार में 103, नैनीताल में 109, पौड़ी में 56, ऊधमसिंह नगर में 6 और चमोली जिले में 4 डेंगू मरीज मिल चुके हैं।
कांग्रेस ने उपचार के लिए किये इंतजाम बताये नाकाफी
दूसरी ओर कांग्रेस ने डेंगू के उपचार के लिए किये जा रहे इंतजाम को नाकाफी बताया है। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने डेंगू के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर देहरादून के दून चिकित्सालय और जिला अस्पताल कोरोनेशन का दौरा किया और कहा कि दून अस्पताल के प्रवेश द्वार से ही डेढ़ सौ से 200 मरीजों की लंबी कतार अपना ब्लड सैंपल देने के लिए लगी हुई है। क्योंकि सैंपल लेने के लिए सिर्फ एक काउंटर है और कतार में लगे लोग पहले से ही बुखार से पीड़ित थे। दसौनी ने कहा की दोनों ही अस्पतालों की क्षमता से अधिक मरीज भर्ती हैं। एक-एक बेड पर दो-दो मरीज देखे गए ऐसे में जो लोग सैंपल लेकर खड़े थे वह पॉजिटिव आने पर कहां भर्ती होंगे उसका कोई इंतजाम नहीं।दून चिकित्सालय का आईसीयू गरीब मरीजों से ₹1700 प्रतिदिन के हिसाब से फीस ले रहा है जबकि आईसीयू के एसी पंखे सब खराब पड़े हैं।
दसोनी ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव ने हाल ही में अपने बयान में कहा कि जुलाई से लेकर नवंबर तक डेंगू का प्रकोप रहता है ऐसे में स्वास्थ्य सचिव बताएं की कंट्रोल रूम बनाने में 2 महीने की देर क्यों की गई? दसौनी ने कहा कि सरकार ने प्री मानसून तो कोई तैयारी नहीं की पर प्री डेंगू तो तैयारी की जा सकती थी। दसौनी के अनुसार कोरोना काल के बाद मरीजो को बहुत दिक्कत आ रही है और शरीर वैसे ही जीर्ण शीर्ण हो चुका है। ऐसे में डेंगू मरीजों को पूरी तरह से तोड़ दे रहा है।
उन्होंने कहा कि वहां कई मरीजो ने आप बीती बताते हुए कहा कि कोई डॉक्टर राउंड पर नहीं पहुंच रहा है। एक-एक मरीज के बिस्तर पर चार-चार परिजन बैठे हुए पाए गए। उन्होंने पूछा कि आखिर प्राइवेट अस्पतालों की तर्ज पर सरकारी अस्पतालों में एक प्रोफेशनल वर्किंग कल्चर क्यों नहीं डेवलप किया जा सकता ?
मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि मोटी तनख्वाह लेने के बाद भी रसूखदार लोगों का रवैया स्वास्थ्य व्यवस्था की तरफ उदासीन बना हुआ है। दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड का स्वास्थ्य महकमा दिनो दिन गर्त में जा रहा है किसी को कोई मतलब नहीं प्रदेशवासियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।
दसौनी ने बताया कि आज डेंगू प्रदेश में और खासकर के देहरादून में विकराल रूप ले चुका है, लेकिन सरकारी इंतजाम इस बड़ी विपदा से जूझने के लिए नाकाफी दिखाई पड़ते हैं।
दसौनी ने कहा की स्थिति जितनी खराब दिख रही है उससे कहीं ज्यादा बदत्तर स्थिति में है अगर डेंगू की रोकथाम के लिए जल्द व्यवस्थाएं नहीं की गई तो स्थिति बिल्कुल आउट ऑफ कंट्रोल हो जाएगी।