देहरादून। एम्स ऋषिकेश ने नई टिहरी तक ड्रोन के माध्यम से दवा पहुंचाकर पर्वतीय क्षेत्रों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों मे स्वास्थ्य पहुँच की संभावनाओं को लेकर एक नई उम्मीद जगाई है। गुरुवार को एम्स से टिहरी जिला चिकित्सालय दवा पंहुचाकर इसका सफल ट्रायल किया गया। ऋषिकेश एम्स देश का ऐसा पहला संस्थान है जिसने जरूरतमंदो को दवा पहुंचाने की ऐसी पहल की है।
इस ट्रायल द्वारा टीबी के मरीजों के लिए टिहरी जिला चिकित्सालय में दवा भेजी गयी। एम्स ऋषिकेश के हेलीपैड से टिहरी तक 36 किमी की यह हवाई दूरी ड्रोन ने 29 मिनट में पूरी की। टीबी के मरीजों को ड्रोन से दवा भेजने का यह ट्रायल पूर्णतः सफल रहा।
एम्स से दवा लेकर ड्रोन सुबह 10 बजकर 44 मिनट पर उड़ा था और 11 बजकर 14 मिनट पर टिहरी में लैंड हो चुका था। वापिसी में इसने टिहरी जिला चिकित्सालय से 11 बजकर 44 मिनट पर उड़ान भरी और यह 12 बजकर 15 मिनट पर एम्स में हेलीपैड पर सकुशल लैंड हो गया। प्रति घन्टा 120 किमी की गति से उड़ने वाले इस यह ड्रोन 3 किलो भार ले जा सकता है। ड्रोन का अपना वजन 16.5 किलोग्राम है और एम्स से जिला चिकित्सालय की हवाई दूरी लगभग 36 किमी है।
इस मौके पर एम्स की कार्यकारी निदेशक डाॅ मीनू सिंह ने कहा कि उत्तराखण्ड विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है। पहाड़ के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले बीमार लोगों तक इस माध्यम से दवा पंहुचाकर उनका समय रहते इलाज शुरू किया जा सकता है। इस सुविधा से आपात् स्थिति में फंसे लोगों तक भी तत्काल दवा अथवा इलाज से सम्बन्धित मेडिकल उपकरण पंहुचाये जा सकेंगे। डाॅ0 मीनू सिंह ने बताया कि चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों के घायल हो जाने अथवा गंभीर बीमार हो जाने की स्थिति में, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में फंसे जरूरतमंदों तक दवा पहुंचाने तथा दूरस्थ क्षेत्रों से एम्स तक आवश्यक सैंपल लाने में इस तकनीक का विशेष लाभ मिलेगा। इसके अलावा आंखों की काॅर्निया के प्रत्यारोपण की प्रक्रिया में भी इस तकनीक का उपयोग कर समय की बचत की जा सकेगी।
चारधाम यात्रा के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते कई तीर्थयात्रियों को तत्काल दवा अथवा मेडिकल उपकरणों की आवश्यकता पड़ जाती है। इसके अलावा पैदल यात्रा के दौरान कई लोग हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक तथा अन्य स्वास्थ्य कारणों के चलते गंभीर अवस्था में बीमार हो जाते हैं। ऐसे में एम्स ऋषिकेश की यह सुविधा उन्हें तत्काल दवा पंहुचाने में कारगर सिद्ध हो सकती है।
इस अवसर पर चिकित्सा अधीक्षक प्रो0 संजीव कुमार मित्तल, उप निदेशक (प्रशासन) ले0क0 ए0आर0 मुखर्जी, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के हेड प्रो0 मनोज गुप्ता, रजिस्ट्रार राजीव चैधरी, विधि अधिकारी प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, प्रशासनिक अधिकारी गौरव बडोला, संस्थान के पीआरओ हरीश थपलियाल, माइक्रोबायलॉजी विभाग के डा जितेन्द्र गैरोला, फार्मोकोलॉजी विभाग के डॉक्टर विनोद सहित गुड़गांव स्थिति टेकेग्ल इनोवेशन कंपनी के अधिकारी गौरव आसुधानी और विश्वास कपूर आदि मौजद रहे।