अंकिता के लिए न्याय की मांग पर सड़कों पर उतरे लोग, बाजार कराए बंद

देहरादून। अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने और मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर आज आंदोलनकारी संगठन सड़कों पर उतर गए।

विभिन्न संगठनों जिनमें अंकिता भंडारी संयुक्त न्याय समिति, उत्तराखंड बेरोजगार संघ, उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ (पंजी), उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखण्ड क्रांति दल, युवा उक्रांद, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया, उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच, नौजवान सभा, ज्ञान विज्ञान समिति, अखिल गढ़वाल सभा, उत्तराँचल कुर्माचल सभा, पूर्व बैंकिंग कर्मचारी संगठन, दून बार एसोसिएशन, राजकीय कर्मचारी शिक्षक संघ आदि अनेकों संगठनों ने बंद मे शिरकत की। वहीं प्रदेश से बाहर दिल्ली, लखनऊ मे भी लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।

आज तड़के आंदोलनकारी बॉबी पँवार,आरती राणा, प्रमिला रावत, सुशील कैथुरा, सजेंद्र कैठेेत, “सैनिक शिरोमणि” मनोज ध्यानी, हरि भंडारी, पदमा गुप्ता, निर्मला बिष्ट, शकुंतला रावत आदि तिपहिया वाहनों पर दून के विभिन्न दिशाओं मे माइक पर बंद की घोषणा करते निकल पड़े। पूर्व निर्धारित निर्णय के अनुसार प्रातः 9:00 बजे तक सभी आंदोलनकारी भी गाँधी पार्क मे एकत्रित हो गए। यहाँ पर आंदोलनकारियों ने जबरदस्त नारेबाजी करते हुए अंकिता भंडारी के लिए न्याय की मांग की। उसके उपरांत आंदोलनकारी अलग अलग जत्था बनाकर नारेबाजी व जनगीत हुए बाजार बंद कराने निकल पड़े। पहला जत्था महिला मंच, जनसंवाद मंच, गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान आदि के नेतृत्व मे इंदिरा मार्केट आदि बंद करने निकल पड़ा। दूसरा जत्था अंकिता भंडारी संयुक्त न्याय समिति, उत्तराखंड बेरोजगार संघ, उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ, उत्तराखंड क्रांति दल, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया, धाद आदि के नेतृत्व मे गाँधी पार्क से बाजार बंद करने निकल पड़ा। घंटाघर पहुंचकर इस जत्था ने सभी दुकाने बंद करवा दी और घंटाघर पर कुछ देर धरना देकर बैठ गए। कुछ समय उपरांत पहला जत्था भी बाजार आदि बंद करवाते हुए वहाँ पर पहुँच गया। तदुपरान्त सभी बंद समर्थक संगठन पलटन बाजार मे घुस गए। आंदोलनकारियों ने एक एक करके सभी खुली दुकानों को बंद करवा दिया। कुछ कुछ जगह पर बंद समर्थक आंदोलनकारियों और खुली दुकान के मालिकों से तीखी झड़प भी हुई। शहर कोतवाल एवं पुलिस एवं वरिष्ठ नेताओं ने बडी समझदारी से तनाव को बढ़ने से रोका।  बंद स्वतःस्पूर्त रहा है। बंद समर्थक आंदोलनकारियों ने पलटन बाजार, इंदिरा मार्केट, धामावला बाजार, रमा मार्केट, धर्मपुर बाजार, आढ़त बाजार, हाथीबड़कला बाजार, राजपुर रोड, चकराता रोड सभी को बंद करवाया। इस मौक़े पर प्रदीप कुकरेती, श्रीमती कमला पंत,  सजेंद्र कैठेेत, हरि भंडारी,  सुशील कैथुरा, श्रीमती शकुंतला रावत, नितिन मलेठा,  प्रशांत, श्रीमती पदमा गुप्ता,  रोशन धस्माना,  गजेंद्र भंडारी, रघुवीर बिष्ट,  दीपक करगेती,  रामलाल खंढूरी,  सतीश धौलाखंडी,  त्रिलोचन भट्ट,  जयदीप सकलानी,  रविंद्र प्रधान,  तनमय ममगाई समेत बडी संख्या मे युवा,महिला, छात्र, छात्राएँ, संस्कृत कर्मी मैदान मे रहें।

जंतर मंतर पर आंदोलनकारियों ने दिया धरना

चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक और कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर उत्तराखंड बंद के अवसर पर आयोजित  कार्यक्रम के मौके पर साफ कहा “उत्तराखंडी मर जाएंगे मिट जाएंगे लेकिन उत्तराखंड को थाईलैंड नहीं बनने देंगे ।”
उन्होंने अंकिता भंडारी हत्याकांड के दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की और मुजफ्फरनगर कांड के 28 साल बाद भी दोषियों को सजा ना मिलने के लिए राज्य के राजनीतिक दलों को दोषी ठहराया । उन्होंने कहा राजनीतिक नेताओं की कमजोर इच्छाशक्ति के कारण और देश की लचर कानून व्यवस्था के कारण 28 साल बाद भी मुजफ्फरनगर कांड के दोषी छुट्टा घूम रहे हैं ।उन्होंने राज्य में भाजपा सरकार के कार्यकाल में नैतिकता के आधार पर संस्कृति विकसित ना‌ किए जाने के स्थान पर “मसाज कल्चर ” को बढ़ावा दिए जाने का भाजपा पर आरोप लगाया ।
उन्होंने उत्तराखंडियो का आह्वान किया अच्छे चरित्र वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं को आगे लाएं और टिकट खरीदकर जो लोग चुनाव लड़ते हैं। उनका बहिष्कार करें। उन्होंने अंकिता भंडारी हत्याकांड में लिप्त राजनेताओं का पर्दाफाश किए जाने की मांग की और उन्हें दंडित किए जाने की मांग की ।
राज्य आंदोलनकारी खुशहाल सिंह बिष्ट के संचालन में हुई जंतर मंतर की सभा को हरिपाल रावत, प्रताप शाही ,रामप्रसाद भदूला ,रोशनी चमोली, प्रेमा धोनी, दीपिका नयाल, बिट्टू उपरेती ,दाताराम चमोली प्रताप थलवाल, हरीश अवस्थी, मनमोहन शाह, सत्येंद्र रावत, कुशाल जीना, हीरो बिष्ट, नारायण सिंह गुसाईं, व्योमेश जुगरान, डॉक्टर एसएन बसलियाल, किशोर रावत, बृज मोहन सेमवाल दिनकर फर्त्याल समेत अनेक राज्य आंदोलनकारियों ने इस मौके पर भाजपा सरकार में हो रहे भर्ती घोटाला महंगाई बेरोजगारी और कानून व्यवस्था को निशाना बनाते हुए सरकार की विफलता का जिक्र किया और अंकिता अंकिता भंडारी की जघन्य हत्या के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा दिए जाने की मांग की उन्होंने मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को 28 साल बाद भी सजा ना मिलने पर रोष जताया और उत्तराखंड बंद को राज्य की एक करोड़ जनता की अभिव्यक्ति की आवाज बताया।

 

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