विस भर्तियों पर रार, कांग्रेस भाजपा मे वार-पलटवार

देहरादून। विधान सभा मे हुई भर्तियो को लेकर कांग्रेस और भाजपा मे वार पलटवार तेज हो गया है। कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खण्डूडी द्वारा तीन सदस्यीय समिति के गठन पर सवाल उठाए है।

कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा में लगभग 543 कर्मचारी है वहीं उत्तराखण्ड की छोटी सी 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 560 से अधिक कर्मचारी कार्यरत होना अपने आप में नियुक्तियों में हुई बंदरबाट की ओर ईशारा करता हैं।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड विधानसभा में राज्य गठन (वर्ष 2000) के उपरान्त विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों पर आरोप लगाये जा रहे हैं कि राजनेताओं एवं जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा विधानसभा में अपने परिजनों तथा रिश्तेदारों की भर्तियां की गई हैं। इन आरोपों के मद्देनजर सरकार द्वारा विधानसभा में विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों की जांच हेतु तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।

माहरा ने कहा कि विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच हेतु जिस तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है उसमें श्री डी.के कोटिया, आई.ए.एस. (वर्तमान में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा पूर्व में लोक सेवा अभिकरण के अध्यक्ष), अवनेन्द्र सिंह नयाल, (वर्तमान में लोक सेवा आयोग के सदस्य), एवं सुरेन्द्र सिंह रावत (पूर्व सूचना आयुक्त) को सदस्य बनाया गया है। जबकि विधानसभा एक संवैधानिक संस्था है जिसके किसी भी मामले की जांच का अधिकार केवल उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय में निहित होता है। ऐसे में सरकार के अधीन कार्य करने वाले लोक सेवकों द्वारा की जाने वाली जांच की निष्पक्षता संदेहास्पद है। राज्य विधानसभा द्वारा भर्तियों की जांच हेतु गठित समिति की जांच पूरी होने से पूर्व ही जांच से सम्बन्धित सूचनाओं का सार्वजनिक होना जांच समति की निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह खडा करता है।

माहरा ने कहा कि चूंकि विधानसभा एक संवैधानिक संस्था है तथा इसके चलते कमेटी की जांच मे यह सुनिश्चित किया जाना नितांत आवश्यक है कि विधानसभा में हुई भर्तियों मे कानून का पालन होने के साथ-साथ नैतिकता का पालन किया गया है अथवा नहीं तथा इन भर्तियों की जांच जनहित में होनी चाहिए। साथ ही विधानसभा में हुई सभी प्रकार की भर्तियों की जांच वर्ष 2012 के उपरान्त नहीं अपितु वर्ष 2000 से की जानी चाहिए।

जांच एजेंसी और बेरोजगारों का मनोबल तोड़ना चाहती है कांग्रेस : चौहान

दूसरी ओर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि सरकार भर्ती गड़बड़ियों की जांच करा रही है तो विपक्षी कांग्रेस नही चाहती कि मामलों की निष्पक्ष जांच हो। उसका मक़सद अफवाह फैलाकर महज राजनेतिक रोटियां सेकना है।
पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि धामी सरकार गड़बड़ियों की निष्पक्ष जांच करा रही है तो दूसरी ओर जन हित के बड़े फैसले ले रही है। जन हित के बड़े फैसलों की जनता मुक्त कंठ से प्रसंशा कर रही है और यह कांग्रेस को हजम नही हो रही है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के आरोपों पर पलटवार करते हुए चौहान ने कहा कि अधीनस्थ चयन सेवा आयोग मे हुई भर्तियो की एसटीएफ निष्पक्ष जांच कर रही है और उत्तराखंड से बाहर से भी अपराधियों को सलाखो के पीछे पहुचाया है। अब तक हुई कार्यवाही यह साफ हो चुका है कि जांच को लेकर सरकार की मंशा पर कोई सवाल नही उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा की भू कानून को लेकर कांग्रेस का प्रलाप रजनीति से प्रेरित और जन विरोधी है। भाजपा इस कानून के जरिए राज्य के निवासियों के भूमि की सुरक्षा, संसाधनों के संरक्षण, राज्य वासियों के जमीनों की लूट खसोट को रोकने की दिशा मे कार्य कर रही है।
चौहान ने कहा कि कांग्रेस को विधान सभा अध्यक्ष के निर्णय का सम्मान करना चाहिए।
चौहान के कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के आरोप पर आपत्ति जताते हुए कहा कि विधान सभा अध्यक्ष के निर्देश पर जांच कमेटी मामले की जांच कर रही है और जांच दल के सदस्य राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह रहे है, जिन्होंने सेवा के दौरान विकास कार्यो मे अहम योगदान दिया है। इसलिए उनकी निष्ठा और कार्यो पर सवाल उठाना सरासर गलत है।
कांग्रेस एक ओर भर्तियो मे गड़बड़ियों मे सवाल उठाकर एसटीएफ के मनोबल को कम करने की कोशिश कर रही है तो वहीं विधान सभा मे जांच कर रही कमेटी पर भी सवाल उठा रही है। कांग्रेस को जांच से कोई लेना देना नही है और वह महज अफवाह फैलाकर राजनीति कर रही है। जबकि भाजपा जांच कर दोषियों को सजा और बेरोजगारों के साथ न्याय करने की मंशा से कार्य कर रही है। सीएम ने जांच के चलते आगे परीक्षाओं मे विलंब न हो इसके लिए आगे की परीक्षाओं को लोक सेवा आयोग से कराने का निर्णय लिया और आयोग एक सप्ताह के भीतर कैलेंडर जारी करने का अश्वासन् दे चुका है। कांग्रेस को बेरोजगारों के हित मे सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए, जिससे जांच एजेंसियों के साथ बेरोजगारों के मनोबल पर भी असर न पड़े।

 

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