
देहरादून। द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 99 वर्ष की आयु मे मध्य प्रदेश के निरसिंहपुर में निधन हो गया।
बताया जाता है कि उन्होंने अपने आश्रम में दोपहर 3 बजे के करीब अंतिम सांस ली। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपना 99वां जन्मदिन धूमधाम के साथ मनाया था। उनका जन्म 2 सितंबर 1924 को हुआ था। वह द्वारका और ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य थे। देश की आजादी के लिए शंकराचार्य स्वरूपानंद ने योगदान दिया था। उनका बचपन का नाम पोथीराम था। उन्होंने काशी में करपात्री महाराज से धर्म की शिक्षा ली थी। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय वह भी आंदोलन में कूद पड़े थे। उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा। साल 1989 में उन्हें शंकराचार्य की उपाधि मिली थी। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते थे। उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर सरकार भी सवाल खड़े कर दिए थे। उन्होंने कहा था कि भगवा पहन लेने से कोई सनातनी नहीं बनता। उन्होंने कहा था कि जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट में कोई भी ऐसा शख्स नहीं है जो कि प्राण प्रतिष्ठा कर सके। उन्होंने धन को लेकर भी ट्रस्ट पर सवाल खड़े किए थे।