देहरादून। चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक तथा पूर्व राज्य मंत्री धीरेंद्र प्रताप ने वर्ष 1994 से पहले के आंदोलनकारी को सम्मान देने की मांग की है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिये पत्र मे उन्होंने कहा कि 1994 में खटीमा से उपजे उत्तराखंड आंदोलन में खटीमा सहित संपूर्ण उत्तराखंड में 64 वर्षों तक राज्य निर्माण आंदोलन में अलग-अलग क्षेत्र में तत्कालीन क्षेत्र के जागरूक लोगों ने अग्रणी व निर्णायक भूमिका निभाई। क्षेत्र में आयोजित धरना प्रदर्शन ,जुलूस ,न्यायालय से जुड़े आंदोलनकारियो के मामलों की पैरवी करने उनको न्यायालय में न्याय दिलाने से लेकर पूरे 6 वर्षों तक शिष्टमंडल के माध्यम से दिल्ली सरकार से वार्ता करने तथा राज्य निर्माण तथा आमजन में जोश को बरकरार रखने में क्षेत्र की अग्रणी आंदोलनकारियो ने एड़ी चोटी का जोर लगाया तथा तन मन धन से राज्य आंदोलन में स्वयं को न्योछावर कर दिया।
ऐसे आंदोलनकारियो के संबंध में शासन स्तर से पूछताछ के आदेश कर हर तहसील तथा जिले में सूची मंगाया जाना उचित होगा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि एक उच्च कोटि के अग्रणी आंदोलनकारियो को शासन द्वारा पृथक श्रेणी में रखते हुए उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया जाना उचित होगा। वर्ष 1994 में अग्रणी भूमिका में रहे सैकड़ो आंदोलनकारी वर्तमान में पूरी तरह उपेक्षा के शिकार है तथा उनको भीड़ का हिस्सा मानकर चिह्निकरण कर दिया गया है। उनके उच्च कोटि के योगदान को सरकार द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया है।