वैली ऑफ वर्ड्स में “फ्रॉम द पेन ऑफ सर्जन्स” की पुस्तक चर्चा, डॉ संजय ने साझा किये अनुभव

चिंतनशील अनुभवों और वास्तविक जीवन की कहानियों की दुनिया

देहरादून। चिकित्सा और साहित्य के प्रेरणादायक संगम के रूप में, देहरादून शहर की शाम, वैली ऑफ वर्ड्स कैफे में एक बेहद आकर्षक पुस्तक पैनल चर्चा का साक्षी बना। यह कार्यक्रम डॉ. संजीव चोपड़ा, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और वैली ऑफ वर्ड्स के संस्थापक, द्वारा लेखकों और संचालक के परिचय के साथ शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि सर्जनों की कलम से किए गए कार्य, सर्जरी से किए गए कार्यों की तुलना में कई गुना अधिक मूल्यवान हो जाते हैं क्योंकि कलम से किए कार्य न केवल व्यक्ति विशेष बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र के विकास का माध्यम बनती है। यह कार्यक्रम विचारोत्तेजक पुस्तक “फ्रॉम द पेन ऑफ सर्जन्स” पर केंद्रित था, जिसे प्रतिष्ठित पिता-पुत्र की जोडी डॉ. बी. के. एस. संजय और डॉ. गौरव संजय द्वारा लिखा गया है।


यह पुस्तक भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे जनकल्याण और राष्ट्रीय महत्व के विषयों के साथ-साथ सड़क दुर्घटनाएं, शराब की लत, जनसंख्या वृद्धि आदि सामाजिक मुद्दों को भी संबोधित करती है। इसका उद्देश्य जनसाधारण और चिकित्सा व अन्य क्षेत्रों के पेशेवरों के लिए जागरूकता फैलाना और विशेषज्ञ दृष्टिकोण को एक संग्रहीत एवं संदर्भ योग्य रूप में प्रस्तुत करना है। चर्चा के दौरान डॉ. बी. के. एस. संजय और डॉ. गौरव संजय ने अपने शल्य चिकित्सा जीवन से जुड़े वास्तविक अनुभवों को साझा किया और बताया कि कैसे ये अनुभव पुस्तक को लिखने का आधार बने। दोनों ने चिकित्सा में सहानुभूति के महत्व पर जोर दिया और यह भी बताया कि कैसे लिखने की कला डॉक्टरों और आम जनता के बीच एक माध्यम बना सकती है।
पुस्तक हस्ताक्षर और आत्मीय संवाद के साथ संपन्न हुआ यह कार्यक्रम सिर्फ एक पुस्तक का उत्सव नहीं था, बल्कि विज्ञान और आत्मा के बीच संवाद का प्रतीक बन गया जिससे उपस्थित सभी श्रोता भावविभोर और प्रेरित हुए। “फ्रॉम द पेन ऑफ सर्जन्स” एक सशक्त साहित्यिक कृति है जो दो अनुभवी सर्जनों की आत्मचिंतनशील आवाज को सामने लाती है। यह पुस्तक चिकित्सा जगत को मानवीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है रोगियों की मार्मिक कहानियों, नैतिक दुविधाओं और एक सर्जन के मन में छिपे भावनात्मक भार को उजागर करती है। कार्यक्रम का संचालन सुनीता विजय द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में सेवानिवृत्त वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारी, शिक्षाविद, साहित्कार, कवि, लेखक, डॉक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र, नागरिक और पत्रकार उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान शिक्षाविद सुश्री सुधारानी पांडे, उद्योगपति एवं समाज सेवी डॉ. एस. फारूक, समाज सेवी विवेकानंद खंडूरी, पूर्व आईएएस इंदु पांडे, डॉ. सुशील उपाध्याय, डॉ. एस.एन. सिंह मौजूद रहे ।

कार्यक्रम का संचालन स्तंभकार सुनीता विजय ने किया।

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