देहरादून। विस मे हुए घटनाक्रम के बाद भाजपा और कांग्रेस की तकरार रुकने का नाम नही ले रही है। संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद अब कांग्रेस ने विस अध्यक्ष ऋतु खंडूरी का इस्तीफा मांगा है।
कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने संयुक्त पत्रकार वार्ता मे कहा कि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान जिस तरीके से विधानसभा में तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री में असंसदीय भाषा का प्रयोग किया वह संसदीय इतिहास में अप्रत्याशित है। सत्र के दौरान विधानसभा की संरक्षक विधानसभा अध्यक्ष होती है। वही विधानसभा की कार्रवाई संचालित करती हैं और विपक्ष भी उन्हीं से संरक्षण की उम्मीद करता है, लेकिन जिस तरीके से सदन में तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री ने व्यवहार व भाषा का प्रयोग किया विधानसभा अध्यक्ष को तत्काल उस को रिकॉर्ड से निकालने के आदेश देने चाहिए थे, और उन्हें असंसदीय भाषा के प्रयोग के लिए टोकना और रोकना चाहिए था ।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्री के दुर्व्यवहार पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया और चुपचाप जनता का अपमान सुनती रही। आज तक भी विधानसभा की कार्रवाई को जारी नहीं किया गया है। यही नहीं सदन के अंदर नेता सदन भी मौजूद थे उन्होंने भी कोई हस्तक्षेप नहीं किया। आखिर सरकार की क्या मंशा है यह समझ से परे है। पहली बार विधानसभा में चुनकर आए कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला ने तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री के बयान पर शालीनता से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाही, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष का जो व्यवहार उनके प्रति था वह समझ से परे था उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता ।
उन्होंने कहा कि अभी तक विधानसभा अध्यक्ष के दुर्व्यवहार के लिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न किया जाना संशय पैदा कर रहा है । इसी प्रकार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी आंदोलनकारी जनमानस के लिए सड़क छाप शब्द का प्रयोग किया। सड़क छाप की क्या व्याख्या है यह भी भाजपा को स्पष्ट करनी चाहिए और जिस प्रकार तत्कालीन कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को उनके पद से हटाया गया है उसी प्रकार विधानसभा अध्यक्ष और महेंद्र भट्ट के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।
यशपाल आर्य ने कहा कि पूरे घटनाक्रम पर भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं की चुप्पी इस और इशारा कर रही है कि विधानसभा सत्र के दौरान जो घटनाक्रम हुआ वह भाजपा की एक सोची समझी चाल थी। भाजपा राज्य को पहाड़ और मैदान की राजनीति में बांटना चाहता है , लेकिन कांग्रेस पार्टी भारतीय जनता पार्टी के विभाजनकारी मंसूबे को कभी सफल नहीं होने देगी और हम राज्य की एकजुटता और राज्य की जनता का अपमान करने वालों के खिलाफ पूर्ण न्याय मिलने तक लड़ाई लड़ते रहेंगे ।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक पद है वह राजनीति से ऊपर उठकर के कार्य करते हैं। राजनीतिक गतिविधियों से उनका कोई लेना-देना नहीं होता है, लेकिन जिस तरीके से उत्तराखंड की विधानसभा अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी के मंचों पर प्रतिभा करती हैं यह सब क्रियाकलाप विधानसभा अध्यक्ष के पद की गरिमा की विपरीत हैं। उन्होंने बजट सत्र की कार्रवाई संचालित की और तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री को संसदीय भाषा के प्रयोग करने पर नहीं टोका यह संसदीय इतिहास में कभी देखने को नहीं मिला। जिस तरीके से उन्होंने विपक्ष के विधायक को उनकी बात कहने से रोका उन्हें टोका यह भी उनके पद की गरिमा के विपरीत था। विधानसभा अध्यक्ष के दुर्व्यवहार को राज्य की जनता ने भी स्वीकार नहीं किया और सड़कों पर उतरकर भी अपना विरोध दर्ज कराया।
गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि यह कोई सामान्य घटना नहीं है भाजपा और प्रदेश सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए ,क्योंकि उत्तराखंड राज्य को बनाने में सभी वर्गों का सहयोग है सभी का त्याग है बलिदान है उसे नकारा नहीं जा सकता भाजपा पहाड़ और मैदान में राज्य को बांटना चाहती है इसीलिए भाजपा की लीडरशिप अपने तत्कालीन मंत्री विधानसभा अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के दुर्व्यवहार पर भी मौन धारण किए हुए हैं जिस प्रकार कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर कार्रवाई हुई है उसी प्रकार विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पर भी कार्रवाई होनी चाहिए तभी यह संदेश जाएगा कि भाजपा राज्य को समान दृष्टि से देखती है या नहीं।
पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट भी उपस्थित रहे।