देहरादून। हिमवंत कवि चन्द्र कुवंर बर्त्वाल के 103वें जन्मदिवस पर उत्तरांचल प्रेस कलब मे आयोजित कार्यक्रम मे उनकी दुर्लभ कृतियों को संकलित कर एक सम्पूर्ण काव्य ग्रंथ का विमोचन किया गया। जिसमें कवि की एक हजार से अधिक कवितायें है । यह कवितायें हिमालय के सौन्दर्य से लेकर उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद के विरोध की है। इस पुस्तक में कई महत्वपूर्ण समीक्षायें भी है। 546 पृष्ठ की इस सम्पूर्ण कविता संग्रह से छात्रों पाठकों व शोधकर्ताओं को कवि की रचनाओं के लिए भटकना नहीं पडेगा। हिमवंत का एक कवि, नंदनी, गीत माधवी, कंकड पत्थर, जीतू, पयस्वनी, काफलपाकों एवं मुक्तायें एक साथ पड़ने को मिल जायेगी।
उत्तराचंल प्रेस क्लब में आयोजित 103वे जन्म दिवस समारोह में यह प्रसन्नता व्यक्त की गई कि संस्थान ने पाठकों को कवि का साहित्य उपल्बध कराया है। संस्थान के सचिव एवं काव्य संग्रह के संकलन संपादक डॉ योगम्बर सिंह बर्त्वाल ने कहा कि अब विद्यालयों, विश्वविद्यालयों के पाठ्क्रम में कवि की रचनाएंे लग गई है। कई शोध छात्र गहन अध्ययन करना चाहते है उनके लिए यह संकलन लाभकारी साबित होगा।
समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हिमवंत कवि चन्द्र कुवंर साहित्य को उपलब्ध करवाने में साहित्यकार डॉ. योगम्बर सिंह बर्त्वाल का महत्वपूर्ण योगदान है। वह समर्पित भाव से हिमवंत कवि चन्द्रकुवंर बर्त्वाल के साहित्य उन्नयन में बीते 40 वर्षो से काम करते आ रहे रहे हैं, जिसमें उन्होने कई स्थानों पर कवि की मूर्तियां भी स्थापित की है और महाविद्यालयों व विद्यालयों का नामकरण कवि के नाम पर किया गया है। उन्होंने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने जनपद देहरादून के जिलाधिकारी कार्यालय स्थित सभागार का नामकरण ऋषिपर्णा रखा। उन्होने कहा कि जो रिस्पना का नाम ऋषिपर्णा आया है वह भी हिमवंत कवि चन्द्र कुवंर के काव्य साहित्य से ही लिया गया है। विशिष्ठ अतिथि चन्द्रकुवंर साहित्य पर प्रथम डी.लिट प्राप्त करने वाली डॉ पुष्पा खण्डूरी ने कवि की कविताओं का वाचन करते हुए कवि की तुलना प्रसाद, पंत व निराला से की है।
पूर्व आइ.ए.एस चन्द्र सिंह ने कहा कि जब मैं जनपद चमोली में जिलाधिकारी पद पर विराजमान था तो मुझे हिमवंत कवि के गांव जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। गांव के लोगो ने कवि के बारे में रोचक घटनाये व कवितायें बताई। जिससे मुझे कवि चन्द्र कुवंर बर्त्वाल को जानने की इच्छा जाहिर हुई। तब मैं लगातार संस्थान के सचिव डॉ योगम्बर सिंह बर्त्वाल के सर्म्पक में रहते हुऐ कवि की जयंती व पुण्यतिथियों के कार्यक्रम में जाने का सौभाग्य प्राप्त होता रहता है।
मुख्य वक्ताओं में समर भण्डारी, जगदीश कुकरेती, रानू बिष्ट आदि ने हिमवंत कवि के बारे में सभागार में उपस्थित साहित्यकारों को बताया कि हिमवंत कवि चन्द्र कुवंर बर्त्वाल अल्प आयु में हिन्दी जगत को इतना काव्य साहित्य दे गये हैं। समारोह की अध्यक्षता कर रहे मनोहर सिंह रावत ने कवि की तुलना भारवी व कालिदास से की। कार्यक्रम का संचालन मोहन सिंह नेगी व शूरवीर सिंह भण्डारी ने संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर पर डॉ मुनिराम सकलानी, डॉ मीनाक्षी रावत, प्रभा सजवाण, विवेकानंद खण्डूडी, सुरेन्द्र सिंह सजवाण, विनोद खण्डूडी, जनकवि चन्दन सिंह नेगी, मंजूर अहमद बेग, पूरनसिंह रावत, भानु प्रकाश नेगी, डॉ मानवेन्द्र बर्त्वाल, रविदर्शन सिंह तोपाल, हर्ष उपाध्याय, हरजिन्दर सिंह, विजय पाहवा, कैप्टन प्रेम सिंह नेगी, जगवीर सिंह बर्त्वाल, शक्ति बर्त्वाल, दीपक बहुगुणा, जसवंत सिंह जगपांगी, कुलवंती देवी, गौरब बर्त्वाल, मुकुल परमार, सुमित्रानंदन पंत विचार मंच के राकेश पंत आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।