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देहरादून। देहरादून-दिल्ली मार्ग के चौड़ीकरण की बाधा खत्म हो गई है। कोर्ट ने माना कि सुरक्षा और समरिक दृष्टि से मार्ग का चौड़ीकरण जरुरी है।
हाईकोर्ट ने दिल्ली के अक्षरधाम से देहरादून एनएच के चौड़ीकरण व शिवालिक एलिफैंट कॉरिडोर को ङी-नोटिफाइड करने के मामले में दायर दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के बाद दोनों जनहित याचिकाओं को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने माना कि सामरिक और सुरक्षा की दृष्टि से डी-नोटिफाइड व चौड़ीकरण अति आवश्यक है।
सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में जनहित याचिका पर सुनवाई में सरकार नेे कहा कि एन एच का कार्य पूरा हो चुका है। इसमें केवल तीन किलोमीटर का राजाजी नेशनल पार्क का हिस्सा बचा हुआ है। जनहित को देखते हुए याचिकाओं को शीघ्र निस्तारित किया जाए। इसके पूर्ण होने से दिल्ली-देहरादून का सफर दो घंटे के भीतर किया जा सकता है। इसके लंबित होने से सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। कहा कि जिन बिंदुओं पर जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं, वे बिंदु सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी से पहले ही तय हो चुके हैं।
गौरतलब है कि देहरादून निवासी रेनू पॉल व हल्द्वानी निवासी अमित खोलिया ने अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की हैं। याचिका में कहा है कि 24 नवंबर 2020 को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में प्रदेश के विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए जौलीग्रांट एयरपोर्ट देहरादून के विस्तार के लिए शिवालिक एलिफैंट रिजर्व फॉरेस्ट को डी-नोटिफाइड करने का निर्णय लिया गया। शिवालिक एलिफैंट रिजर्व के डी-नोटिफाइड नहीं करने से राज्य की कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं। लिहाजा इसे डी-नोटिफाइएड करना जरुरी है। इस डी-नोटिफिकेशन को कोर्ट में चुनौती दी गयी थी। वहीं दूसरी जनहित याचिका में कहा गया है कि दिल्ली से देहरादून गणेशपुर के लिए नेशनल हाईवे का चौड़ीकरण करने से राजाजी नेशनल पार्क के इको सेंसटिव जोन का नौ हैक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। इसमें लगभग 2500 साल के पेड़ हैं, जिनमें से कई पेड़ 100 से 150 साल पुराने हैं। इन्हें राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया है। जबकि चौड़ीकरण से उत्तराखंड को केवल तीन किलोमीटर का हाईवे मिल रहा है।