रिखणीखाल। बजट को ठिकाने लगाने के लिए सरकारी कारिंदे किस तरह से काम कर रहे हैं समय समय पर इसके उदाहरण देखने को मिलते रहे हैं। लाखों रुपए की लागत से निर्माण और उसके बाद खंडहर में तब्दील इन भवनो के लिए कोई जिम्मेदार तलाशना भी आसान नहीं है।
रिखणीखाल ब्लॉक के ग्राम द्वारी में लगभग 10 से 15 साल पहले बने दो भवन अब खंडहर होने की कगार पर है और क्षेत्रीय लोगों की तमाम शिकायतो के बाद भी महकमों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। यह भवन दस से पंद्रह साल पहले पटवारी कार्यालय व आवास तथा ए एन एम केंद्र के स्थापित करने के उद्देश्य से बने थे, लेकिन सरकारी उपेक्षा ,लापरवाही व दृढ इच्छाशक्ति न होने के कारण इनका लोकार्पण नहीं हो पाया। हालत यह है कि अब भवनों पर खिड़की,दरवाजे,चौखट तक गायब व चोरी हो गए हैं। भवन तैयार थे लेकिन कार्यालय व केंद्र स्थापित नही किये गये। अब तीन-तीन सरकारी कार्यालय पटवारी कार्यालय,ए एन एम सेन्टर तथा राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ये सब किराये के भवन पर चल रहे हैं। अब यह भवन जंगली जानवरों, नेपाली, बिहारी मजदूरो का आशियाना बने है। भवनों के चारों और झाड़ी उग गई है। गाँव में राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भी गाँव के पंचायत भवन पर किराए पर चलता है तथा ग्राम पंचायत की मीटिंग खुले आसमान व ऑगन में होती है।
विगत वर्ष लोगों ने जब इस बारे में अधिकारियों से शिकायत की तो खंड विकास अधिकारी रिखणीखाल एस पी थपलियाल और तत्कालीन तहसीलदार रिखणीखाल राजेन्द्र पंत को मौका मुआयना के लिए भेजा गया था। लेकिन अभी तक जांच आख्या उपलब्ध नहीं हो पायी।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रभुपाल सिंह रावत का कहना है कि इन भवनों का निर्माण हुआ और ठेकेदार को पेमेंट भी हो गई,लेकिन जिस हालत मे ये भवन है उसे देखकर इनकी गुणवत्ता भी नहीं परखी गई होगी। जब इन भवनों में कार्यालय शिफ्ट नहीं होने थे तो इनके निर्माण के औचित्य पर सवाल लाजिमी हैं। बेहतर होता की कार्यालय किराये के भवनो पर चलाने के बजाय नियमित सरकारी भवनो पर चले और इससे राजस्व की हानि भी नहीं होती। उन्होंने कहा कि इसकी जांच कराई जानी चाहिए।