जयंती पर पण्डित गोविंद बल्लभ पंत का भावपूर्ण स्मरण  – News Debate

जयंती पर पण्डित गोविंद बल्लभ पंत का भावपूर्ण स्मरण 

पौड़ी(चन्द्रपाल सिंह चन्द)। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कुशल प्रशासक व उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पंत की 137 वीं जयंती के अवसर पर आज जीबी पंत इंजीनियरिंग कालेज घुड़दौड़ी में स्थानीय विधायक, जिलाधिकारी तथा मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत सहित विभिन्न अधिकारियों व कर्मचारियों ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर एक विचार गोष्ठी कर उनका भावपूर्ण स्मरण किया गया।

मंगलवार को घुड़दौड़ी में आयोजित कार्यक्रम के पश्चात जिला प्रशासन एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वाधान में जिला कलेक्ट्रेट प्रांगण में उपस्थित गणमान्यों ने स्व. गोविंद बल्लभ पंत के चित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित किए व स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। अयोजित विचार गोष्ठी में स्कूलों की छात्र छात्राओं व उपस्थित लोगों द्वारा पंत के जीवन चरित्र व आजादी में उनके योगदान पर प्रकाश डाला गया। निबंध प्रतियोगिता में जीजीआईसी पौड़ी की कु. ऐश्वर्या प्रथम, जीआईसी धौलखेतखाल (जयहरीखाल) की कु. मनीषा द्वितीय व लीलावती राइका निसनी की कु. आस्था ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इन तीनों को विधायक राजकुमार पोरी व जिलाधिकारी डॉ. आशीष कुमार चौहान द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर स्थानीय विधायक राजकुमार पोरी ने कहा कि पंडित गोविंद बल्लभ पंत एक ऐसे राजनेता थे जिन्होंने अल्मोड़ा के छोटे गाँव से निकलकर महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू के समकक्ष नाम बनाया। उन्होंने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री रहकर हिंदी को पूरे देश में लागू किया। उन्होंने वहां उपस्थित लोगों को पंडित गोविंद बल्लभ पंत के जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने को कहा।
जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि भारत रत्न पंत ने हिंदू कोड बिल को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जिससे महिला वर्ग को विशेष अधिकार प्राप्त हुए। उन्होंने काशीपुर में प्रेम सभा का गठन किया जो शैक्षणिक क्षेत्र में कार्य करती थी। जिलाधिकारी ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत का नाम जब भी लिया जाता है तो हमारे सामने एक ऐसे आंदोलनकारी की तस्वीर उभरकर सामने आती है, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में सक्रियता से भाग लिया। उनका योगदान न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाने में था, बल्कि आजादी के बाद भारतीय संविधान में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और जमींदारी प्रथा को खत्म कराने में भी था।
कार्यक्रम में जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक रणजीत सिंह नेगी, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी आशीष कुमार, प्रशासनिक अधिकारी अजीत रावत सहित विभिन्न अधिकारी, कर्मचारी व स्कूली छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

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