रिखणीखाल के अति पिछ्ड़े क्षेत्र के गांव रजबौ में पंहुची सड़क, गावं में जश्न

देहरादून/रिखणीखाल। सरकार गावों से पलायन रोकने के लिए पलायन आयोग तक का गठन कर चुकी है और आयोग ने इस दिशा मे क्या कार्य किया यह सवाल अभी बना हुआ है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों मे रह रहे सुदूरवर्ती गांव के सामने अभी भी सड़क,स्वास्थ्य और शिक्षा एक अहम समस्या है। अधिकांश गावों मे सड़क तब पंहुची जब गॉव के घरों पर ताले लग चुके थे। लेकिन ऐसे कई क्षेत्र है जहां लोग मूलभूत सुविधाओं का इंतजार कर रहे हैं। आर्थिक रूप से कभी मजबूत माने जाने वाले गॉव अब वीरान हो गये है।
ऐसा एक गावं है रिखणीखाल प्रखंड के सबसे ऊँचे स्थान पर बसे गाँव रजबौ मल्ला। दशकों से सड़क की मांग कर रहे लोगों की मुराद जब पूरी हुई तो गावं में जश्न का माहौल है।
अब गाँव में सड़क पहुँचने पर गाँव वासियों की खुशी का ठिकाना न रहा तो ग्रामीणों ने सड़क पहुँचते ही आनन फानन में विगत दिवस अपनी खुशी का इजहार करते हुए एक भव्य व विशाल सामुहिक भोज का आयोजन रखा,जिसमें सभी गाँव वासियों की भागीदारी की। इस आयोजन में शामिल होने के लिए लोग जो गाँव के प्रवासी देहरादून, रामनगर, कोटद्वार,दिल्ली आदि रहते है वे भी शरीक हुए।इसके अलावा गाँव के वृद्ध ,महिलाए,युवक व बच्चे सभी इस जश्न व ख़ुशनुमा माहौल में शरीक थे। जिसमें मुख्य रूप से दर्शन सिह गुसाई,गबर सिह गुसाई,बृजपाल नेगी,पूर्व प्रधान सुभाष नेगी,पूर्व प्रधान लक्ष्मी देवी,बलवंत सिंह नेगी,भारत सिह नेगी, छीलू,गम्भीर गुसाई,गोविंदी देवी,बालमती देवी,बसन्ती देवी,बीना देवी,सीता देवी आदि कयी लोग थे।

यह गाँव समुद्र तल से लगभग 4000 फुट की ऊंचाई पर एक भव्य ऊंची चोटी व टीले पर स्थित है। यहाँ से लैसडौन छावनी,कोटद्वार भाबर,कालागढ, बिजनौर आदि जगह साफ देखा जा सकता है।पर्यटन व तीर्थाटन के लिए भी इस क्षेत्र की अहमियत है। गाँव के लोग 90 के दशक से सड़क की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन कभी सरकारों की उदासीनता तो कभी दूसरी वजह और सड़क एक सपना बना रहा। ग्रामीण इसमें मेजर( सेवानिवृत्त) श्याम सिह गुसाई का विशेष योगदान मानते हैं। वहीं स्थानीय विधायक दिलीप रावत ने भी ग्रामीणों के प्रयास को फलिभूत किया।

यह सड़क मुख्य सड़क मार्ग दियोड- रिखणीखाल के पैयागडी नामक स्थान से कटकर अपना 5 किलोमीटर का सुहाना सफर पूरा कर आज रजबौ मल्ला गाँव में सेमल के पेड के पास पहुंच चुकी है। इस सड़क का उद्घाटन विगत वर्ष फरवरी 2021 में हुआ था जो कयी कठोर पहाडियों व पठारो को चीरती फाडती इस ऊंचाई में स्थित गाँव पहुची है। यहाँ के लोग अपनी आजीविका का खाद्य सामाग्री खच्चरो से या कंधों में ढोते ढोते थक गये थे,लेकिन आखिर वह खुशी का दिन आ ही गया।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रभुपाल सिंह का कहना है कि अब रजबौ मल्ला,नावेतल्ली और टान्डियू जैसे दुर्गम गाँवों में सड़क पहुंच गयी तो समझो पूरे रिखणीखाल के गाँवों में सड़क आ गयी। यही गाँव सड़क से वंचित रह गये थे। सड़क मार्ग से जुड़ने पर इन गांवों की अर्थिकि मजबूत होगी और पलायन भी रुकेगा।

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