सीमा पर उजाड़ हुए जादुंग गांववासियों को होमस्टे मुहैया करायेगा पर्यटन विभाग – News Debate

सीमा पर उजाड़ हुए जादुंग गांववासियों को होमस्टे मुहैया करायेगा पर्यटन विभाग

देहरादून। उजाड़ हुए उत्तरकाशी के जादुंग गांव गाँव मे 6 भवनों को हम स्टे का स्वरूप देकर ग्रामवासियों को संचालन के लिए दिया जायेगा। इन जीर्ण-शीर्ण भवनों का पहाड़ी शैली मे निर्माण कराया जायेगा। कार्य दायी संस्था द्वारा जादुंग गांव का भ्रमण कर इन 06 जीर्ण-शीर्ण भवनों का सर्वें करते हुये पुर्ननिर्माण की कार्य योजना पर्य टन विभाग को उपलब्ध करायी जा चुकी है।पर्यटन विभाग द्वारा इन भवनों के पुर्ननिर्माण में आने वाले सम्पूर्ण व्यय भार का वहन किया जायेगा।

सचिव पर्यटन सचिन कुर्वे ने अवगत कराया कि इस योजना से जहां एक ओर जादुंग गांव के मूल निवासियों को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होंगे साथ ही एक नये पर्यटन के स्रोत भी उभरेंगे। उन्होंने कहा कि इन भवनों का होमस्टे के रूप में संचालन भवन स्वामियों द्वारा 10 वर्षों तक किया जाना अनिवार्य होगा।
जादुंग गांव के मूल निवासी जो कि होमस्टे का निर्माण कर संचालन के इच्छुक होंगे उनके चयन हेतु जिलाधिकारी उत्तरकाशी की अध्यक्षता मे एक समिति का भी गठन किया गया है।
चयन समिति ग्रामवासियों से अनापत्ति पत्र प्राप्त कर उत्तराखण्ड पर्यटन मुख्यालय को उपलब्ध करायेगी। जादुंग गांव मे होमस्टे संचालन हेतु नियम-शर्तों का भी निर्धारण कियाजा चुका है, जिसमे होमस्टे संचालकों द्वारा भवन की साज-सज्जा एवं पर्य टकों हेतु खान-पान की व्यवस्था अपने संसाधनों द्वारा की जानी अनिवार्य होगी।

पर्यटन विभाग द्वारा होमस्टे संचालको हेतु कौशल-विकास एवं आतिथ्य सत्कार का मूलभूत प्रशिक्षण भी निःशुल्क प्रदान किया जायेगा। सचिव पर्य टन द्वारा अवगत कराया गया कि पर्यटन
विभाग सीमान्त गांव जादुंग के पर्य टन विकास हेतु समेकित कार्य योजना बनाने के साथ-साथ होमस्टे की मार्केटिंग तथा प्रचार-प्रसार हेतु कार्य करेगा। योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु जादुंग गॉव के भू-स्वामियों द्वारा इस आशय की अनापत्ति विभाग को प्रदान करनी होगी।

भारत-चीन युद्ध के दौरान खाली कराया गया था गाँव

1962 से पहले भारत-चीन सीमा पर स्थित नेलांग गांव में करीब 40 और जादूंग गांव में करीब 30 परिवार निवास करते थे। वहां ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय कृषि एवं भेड़पालन था। वर्ष 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के दौरान सुरक्षा दृष्टि से भारतीय सेना ने नेलांग और जादूंग गांव खाली करा दिए। उस समय ग्रामीणों ने अपने रिश्तेदारों के यहां बगोरी और डुंडा में शरण ली। लेकिन, तबसे लेकर आज तक प्रभावित ग्रामीणों को न तो विस्थापित किया गया और न फिर से गांव में बसने की अनुमति दी गई। नेलांग में उनकी 375.61 हेक्टेयर और जादुंग में 8.54 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है।

बगोरी गांव के पूर्व प्रधान भवान सिंह राणा ने  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने नेलांग-जादूंग गांव के मूल निवासियों को फिर से वहां बसाने की मांग की। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को इस बारे में कार्रवाई के आदेश दिए। शुक्रवार को जिलाधिकारी ने बैठक आयोजित के तथा नेलांग व जादूंग गांव के संयुक्त सर्वे के निर्देश दिए। विगत दिवस धामी कैबिनेट मे भी इस पर प्रस्ताव मंजूर किया गया जिसमे नये भवनों के पहाड़ी शैली मे निर्माण पर सहमति बनी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *