अभिभावकों की सहमति, आर्थिक प्रलोभन, डर या अन्य परिस्थिति जांच का विषय
देहरादून। उतराखंड मे हिंदू बच्चों के मदरसों मे पढ़ने के बाद मचे सियासी घमासान के बाद अब बाल सरंक्षण आयोग भी सामने आया है। आयोग की अध्यक्ष ने कहा की मामले मे उनकी नजर है और सभी बिंदुओं पर जांच की जायेगी।
उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डा गीता खन्ना ने बताया कि लम्बे समय से मदरसों में दिये जाने वाली शिक्षा, संसाधन एंव सरकारी अनुदान के सही से उपयोग न होने पर गम्भीरता से संज्ञान लिया जा रहा है। प्रधानमंत्री का मुख्य एजेण्डा मदरसों को आधुनिक शिक्षा एंव मुख्य धारा से जोडना है। इसके क्रम में आयोग द्वारा समय समय पर मदरसों का अनुश्रवण एवं औचक स्थलीय निरीक्षण किया गया। जिससे संज्ञान में आया कि मदरसों में पढाई जानी वाली किताबें सरकार के द्वारा प्रदृत मानकों के अनुरूप नही है। साथ ही मूलभूत सुविधाओं व आधारभूत ढांचा भी मानकों के अनुरूप नही है। यह भी पाया गया कि बहुत सारे मदरसें निजी विद्यालय के नाम पर संचालित किये जा रहे है।
अन्य पडोसी राज्यों में भी मदरसों सम्बन्धी जांच अभियान में अनियमित्तायें एंव बाल अधिकारों के शोषण का प्रकरण भी संज्ञान में आया। आयोग ने अपने मूल्यांकन सम्बन्धी वार्ता राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण के अध्यक्ष के साथ कर इस विषय पर चर्चा की गई। 08 फरवरी को आयोग द्वारा मदरसा बोर्ड को भी सभी मदरसों की सूची उपलब्ध कराये जाने हेतु पत्र प्रेषित कर इस विषय पर अपने स्तर से भी आवश्यक कार्यवाही हेतु पहल कर दी गई थी। विभिन्न माध्यमों से मदरसों के कार्यो की गोपनीय जांच से भी संज्ञान में आया है कि 749 हिन्दु बच्चे मदरसों में अध्ययनरत है। यह एक गम्भीर विषय है। यह भी जानना आवश्यक है कि यह आंकडे केवल तीन जिलों से है शेष अन्य जिलों की विस्तृत अभी उपलब्ध होना शेष है।
डॉ खन्ना ने कहा कि आंकडों एवं सूची का सत्यापन कर इसके पीछे के कारण, अभिभावकों की कथित सहमति, आर्थिक प्रलोभन, डर या अन्य किसी परिस्थिति से उत्पन्न हुई है, भी जांच का विषय है। इस पर आयोग ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगों से भी विचार सांझा कर रहे है।
आयोग द्वारा अवैध रूप से संचालित मदरसों पर की गई कार्यवाही के फलस्वरूप सरकार द्वारा अपने स्तर से उन मदरसों पर कार्यवाही की गई, जो मदरसे सरकारी भूमि पर बने है। गैर सरकारी रूप से बनाये गये मदरसों पर देहरादून एंव नैनीताल में बुलडोजर से ढहाया गया।
मदरसा या अन्य कोई भी स्थान जहां पर बच्चे शिक्षा के लिये आते है, उस पर पैनी नजर रखना आयोग का महत्तवपूर्ण प्राथमिकता है और उसमें सभी सम्बन्धित विभागों के साथ आयोग सामन्जस्य स्थापित कर बच्चों के अधिकारों एंव भविष्य के प्रति सजगता से कार्य का निर्वहन कर रहा है। सभी जांचों को एक पूर्ण रूप देने एंव सार्थक नियमावली बनाकर प्रभावी कार्यनीति बनाने हेतु बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा समाज कल्याण, अल्पसंख्यक, मदरसा, पुलिस व शिक्षा विभाग के साथ एक आवश्यक बैठक का आयोजन किया जायेगा।