रिखणीखाल/देहरादून। प्रदेश मे लंपी वायरस अपने पैर पसार रहा है। सरकार के इस पर नियन्त्रण के लिए किये जा रहे तमाम दावे जमीनी हक़ीक़त से कोसो दूर दिखाई दे रहे है। देहरादून और हरिद्वार जैसे मैदानी क्षेत्रों मे लंपी को लेकर डाटा तैयार किया जा रहा है, लेकिन ग्रामीण अंचलों मे स्थिति विपरीत है। अस्पतालों मे ताले लटके है और पशुपालक भटक रहे है।
राजकीय पशु चिकित्सालय एवं कृत्रिम गर्भाधान केंद्र कोटडीसैण पशु चिकित्सालय मे ताले लटके होने का मामला सामने आया है। इस बारे मे क्षेत्रीय समाज सेवी देवेश आदमी तथा प्रभुपाल सिंह रावत सहित ग्रामीणों ने अधिकारियो से शिकायत की तो शनिवार को पौड़ी से मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ देवेंद्र बिष्ट अस्पताल पहुच गये। सीबीओ सुबह 9:30 से 1 बजे तक अस्पताल मे इंतजार करते रहे, लेकिन अस्पताल का ताला नही खुला। आखिरकार वह स्टाफ से मिले बिना लौट गए।
इस दौरान आसपास तथा दूर दराज के ग्रामीण भी अस्पताल पहुचें, लेकिन अस्पताल मे ताला लटकने के कारण वह मायूस ही लौटने लगे। हालांकि उन्होनें आये दिन अस्पताल के बंद रहने और डाक्टर के नदारद होने की व्यथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सुनाई। अस्पताल की ओर से दरवाजे पर एक नोटिस चस्पा किया गया था कि टीकाकारण कार्यों मे व्यस्तता के कारण अस्पताल बंद किया गया है।
स्थानीय समाजसेवी देवेश आदमी ने कहा कि अस्पताल अक्सर बंद ही रहता है। केंद्र में सुबह से सात आठ पशुपालक बैरंग लौट गये। ये लोग कई किलोमीटर दूर से आये थे। गांवों में आजकल लम्पी बीमारी से पशु बीमार हैं लेकिन पशु अस्पताल बन्द पड़े है।
दूसरी ओर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ देवेंद्र बिष्ट ने कहा की ग्रामीणों की शिकायत पर वह पौड़ी से 9.30 बजे अस्पताल पहुचे तो अस्पताल पर ताले लगे थे। उन्होंने अस्पताल की प्रभारी डॉ पल्लवी जायसवाल से फोन पर अस्पताल बंद होने के बारे मे पूछा तो उन्हें टीकाकारण कार्य मे होने को कहा गया। बकौल डॉ बिष्ट उन्होंने कहा की टीकाकरण के लिए अन्य स्टाफ है और अस्पताल को बंद नही किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मौक़े पर ग्रामीणों की शिकायत और अस्पताल के बंद होने को लेकर वह जांच आख्या तैयार कर शासन मे अधिकारियों को भेजेंगे।