देहरादून। दो दिन पहले जहां विवाह समारोह की रंगत और ढोल नगाड़ो की गूंज थी, अब उन गांवो मे सन्नाटा पसरा हुआ है। गुरुवार को मातम के बीच उस समय रोते बिलखते लोगों ने सन्नाटे को तोड़ दिया जब गांव से अर्थियो के उठने का सिलसिला शुरू हुआ। अकेले लालढांग के कटेबड़ मे 16 मौते हुई। सन्नाटे को चीरती ह्र्दयविदारक रुदन से महौल गमगीन हो गया। कोटद्वार और रिखनीखाल से शव हरिद्वार चंडीघाट पहुचे तो हर आंख मे आंसू थे। एक साथ 12 लोगों के शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
रोते बिलखते परिजन अपनों के खोने से बेसुध दिखाई दिये। कोई परिवार ऐसा नही है, जिसके घर में कोई भी नहीं बचा तो किसी के सिर से मां-बाप दोनों का साया उठ गया। लोग टूट गए है।
दूसरी ओर सिमडी और कांडा गांव मे भी हर कोई सहमा हुआ है। महिलायें उस घड़ी को कोसती नजर आयी जब ये हादसा हुआ। 70 वर्षीय सुरेशी देवी का कहना है की देवता भी रूठे ही लगते हैं। घर मे देव स्थान मे पितरों का स्मरण हर शुभ कार्य से पहले होता है। फिर ऐसा क्यो हुआ वह इसे लेकर बेचैन है।
जिलाधिकारी पौड़ी आज लालढांग पीड़ितों के घर पहुचें और परिजनों को ढांडस बंधाया। उन्होंने कहा की यह दुखद और ह्र्दय विदारक घटना है। उन्होंने कहा कि संदीप के परिवार की आर्थिक हालत खराब है और उन्होंने उसे रोजगार देने का अश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि प्रशासन पूरी तरह से हर समय पीड़ितों के साथ है। उन्होंने संदीप के भतीजे के इलाज भी सरकारी खर्चे मे कराने का आश्वासन दिया।