उत्तराखंड मे कांग्रेस के निशाने पर भाजपा के बाद संघ

देहरादून। हिन्दूवादी संगठन की छवि और भाजपा के मातृ संगठन माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश भर की भाँति उत्तराखंड मे भी कांग्रेस के निशाने पर है। उत्तराखंड में भर्ती घपले को लेकर भाजपा की घेरेबंदी मे जुटी कांग्रेस ने इस बार पैंतरा बदला है। इस बार सेवा के तमाम सामजिक गतिविधियों को संचालित करने वाली आरएसएस के निशाने पर आने की एक अलग वजह मानी जा रही है।

कांग्रेस और वामपंथी संगठनों द्वारा संघ की घेरेबंदी कोई आज से नही है और अदावत पुरानी भी है। आरएसएस भाजपा का मातृ संगठन माना जाता है, लेकिन संघ इससे इंकार करता रहा है। संघ खुद को गैर राजनैतिक और राष्ट्रवादी संगठन कहता रहा है। हालांकि संघ के द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्यक्रमों से निर्मित वातावरण का लाभ भाजपा को मिलता रहा है। क्योंकि विचारधारा का मेल भी है। अटल बिहारी बाजपेयी, वर्तमान मे प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी राजनीति मे आने से पहले प्रचारक रहे हैं तो पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द भी संघ से जुड़े रहे है। ऐसे मे कांग्रेस मे इंदिरा से लेकर वर्तमान मे राहुल गांधी तक संघ पर हमले जारी रखे हुए है।
अब सवाल उठता है कि क्या उत्तराखंड के कांग्रेसी क्या राहुल गांधी की भाषा बोलकर नये मंसूबे पाल रहे है। लगातार मिल रही राजनैतिक असफलताओं ने वैसे भी कांग्रेस मे बिखराव की स्थिति उत्पन्न कर दी है।

राज्य मे एक बार एक दल की सरकार के बाद दूसरे दल को जनता मौका देती रही है, लेकिन 2017 मे भाजपा को मौका मिला तो 2022 मे इतिहास बदला और भाजपा दोबारा सत्ता मे आ गयी। तिलमिलाई कांग्रेस के निशाने पर भाजपा के बाद फिर संघ है। कांग्रेस अपने रास्ते की सबसे बड़ी बाधा संघ को मानता रहा है और संघ के नेताओ पर व्यक्तिगत हमले कर वह उसके मनोबल पर चोट करने की कोशिश भी कर रहा है। संघ और भाजपा से जुड़े लोग आरएसएस के प्रांत प्रचारक युद्घवीर सिंह के नाम को भर्ती विवाद मे घसीटने को यही एक बड़ी वजह मान रहे हैं।

हालांकि कांग्रेस की इस बेबाकी को लेकर संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक सामान्य मानते है और उनका कहना है कि इससे उसे कुछ हासिल नही होने वाला। वरिष्ठ स्वयंसेवी लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल का कहना है कि प्रचारक सुशिक्षित होकर अपना सम्पूर्ण जीवन समाज को समर्पित करते है और वह श्रद्धा के प्रतीक है। ऐसे आरोपों से संघ कभी विचलित नही हुआ, क्योंकि उसे समाज का समर्थन हासिल है। कोरोना काल गवाह है जब संघ के स्वयंसेवकों ने जान की बाजी लगाकर सेवा कार्यो मे भाग लिया और हर विपत्ति मे संघ सदैव आगे खड़ा रहा है। कांग्रेस के तुष्टिकरण और समाज को बांटने के कार्य पर विराम लगा तो आज देश के अनेक हिस्सों मे वह सीमित हो गयी है और अस्तित्व की तलाश मे है।

इमरजेंसी मे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की कमान संभालने वाले वरिष्ठ स्वयं सेवक विजय स्नेही का कहना है कि अपना पूर्ण जीवन सेवा कार्यो मे समाज के लिए खपाने वाले स्वयंसेवक सम्मान के हकदार है। संघ के द्वारा ऐसे दर्जनों कार्यक्रम समाज के लिए चलाए जा रहे हैं और उसमे भी लेसमात्र का स्वार्थ नही है। ऐसे मे इस तरह के आरोप प्रत्यारोप दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि निस्वार्थ भाव से कार्य करने वाले कदम ऐसे आरोपों से नही डिगते।

वरिष्ठ स्वयं सेवक एवं प्रांत सयोंजक ललित बड़ाकोटी का कहना है कि संघ की प्रेरणा से कई संगठन सेवा कार्यो मे जुटे हैं। संघ भारत को दुनिया मे सिरमौर के रूप मे चाहता है। लेकिन कांग्रेस जैसे संगठन छटपटा रहे है। संघ का मकसद महज राष्ट्रवाद की चेतना का संचरण और सेवा कार्य है।

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