ढाई दशक से निर्माण की बाट जो रही है लालढांग चिल्लर खाल मोटर मार्ग
देहरादून। 25 वर्ष के पुनर्निर्माण की बाट जो रही गढ़वाल- कुमायूँ को जोड़ने वाली लाइफ लाइन लालढांग- चिल्लरखाल मार्ग के दिन बहुरने की आश जगी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी राज्य के रजत जयंती कार्यक्रमों को लेकर आयोजित प्रेस वार्ता मे इस मार्ग को लेकर गंभीरता से कार्य करने की बात कही है। सीएम ने कहा कि सरकार इस मार्ग के निर्माण के लिए हर स्तर पर प्रयास कर रही है।
रजत जयंती कार्यक्रमों को लेकर प्रेस मे पूछे गए एक सवाल के जवाब मे सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार हर स्तर पर इस मार्ग के लिए गंभीर है और इस पर कार्य चल रहा है। निश्चित तौर पर यह मार्ग आवाजाही के लिए बनेगा।
50 वें दिन मे प्रवेश कर गया धरना
गढ़वाल- कुमायूँ को जोड़ने वाली लाइफ लाइन लालढांग- चिल्लरखाल मार्ग को लेकर चल रहा धरना 50 वें दिन मे प्रवेश कर गया है। कोटद्वार के युवा पत्रकार प्रवीण थापा ने इस मुद्दे पर कोटद्वार से दिल्ली पैदल यात्रा की और जंतर मंतर पर धरना दिया। दूसरी ओर इस मुद्दे को कोटद्वार क्षेत्र के लोगों ने हाथों हाथ लिया और सेकडों की तादात मे लोग जुट गए। अब मार्ग को लेकर धरना लोगों की दिनचर्या बन गया है।
12 नवंबर को दून कूच करने की घोषणा
मार्ग को लेकर आंदोलन लोगों ने 12 नवंबर को सीएम आवास कूच की घोषणा की है। मामले मे बेरोजगार संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल ने भी सीएम से मुलाकात की और सीएम ने मार्ग के बारे मे आश्वासन देते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गढकरी को पत्र भी लिखा है।
चुनाव से एन पहले गरमाता रहा है मुद्दा
25 साल मे 5 सरकारे आये, लेकिन हर बार सड़क निर्माण की उम्मीद परवान नही चढ़ी। 2002 मे गठित कांग्रेस सरकार मे आखिरी समय पर एक्सरसाइज हुई, लेकिन भाजपा सत्ता मे आ गयी। नये शिरे से तत्कालीन सरकार ने कुछ कार्य किया, लेकिन सरकार बदल गयी। आखिरी क्षणों मे कांग्रेस ने एलीबेटेड रोड की संतुति की। लेकिन 2017 मे भाजपा ने इस मार्ग के लिए तमाम घोषणाएं की। सरकार गठन के बाद तत्कालीन सीएम ने लालढांग कंडी मार्ग को खोलने की भी घोषणा की। अदालत मे केस को वापस लेने तथा मार्ग निर्माण की आधी अधूरी कोशिशें भी हुई, लेकिन 2019 मे इनजीटी ने मार्ग पर स्टे लगा दिया। वर्तमान मे मामला सुप्रीम कोर्ट मे चल रहा है।
विधायक- सांसद ने बनायी धरना स्थल से दूरी
50 दिनों से लोग मार्ग को लेकर आंदोलन चल रहा है, लेकिन अभी तक उनकी मांगो को लेकर सांसद अनिल बलूनी और विधायक ऋतु खंडूरी नही पहुंची है। क्षेत्रीय लोगों ने इस पर आक्रोश जताया है कि अपने प्रतिनिधियों की इस जन हित की मांग से दूरी बनाना अधिक कचोटने वाली है। बेरोजगार संघ के प्रवक्ता प्रमोद काला ने कहा कि लालढांग चिल्लर खाल का मुद्दा कोई नया नही है। जनता की परेशानियों को घर घर जाकर दावा करने वाली सरकार का दायित्व भी प्रतिनिधियों का ही है। अब एक जनहित की मांग को लेकर आंदोलन कर रही जनता को समर्थन देना सबका नैतिक दायित्व है।
