प्रदेश के चार स्टेडियमों के नाम बदलने के ख़िलाफ़ आंदोलन करेगी कांग्रेस: धस्माना

महाराणा प्रताप, वंदना कटारिया व मनोज सरकार का भी किया अपमान, स्टेडियमों पर धरना प्रदर्शन होगा

देहरादून। उत्तराखंड के चार प्रमुख स्टेडियम के नाम परिवर्तन करने का प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पुरजोर विरोध करते हुए इसके खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी राज्य सरकार को दी है।

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन व प्रशासन सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्वाग्रह से ग्रसित हो कर देहरादून के रायपुर स्थित महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज व राजीव गांधी अंतराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का नाम बदलकर रजत जयंती खेल परिसर करने, हल्द्वानी स्थित इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का नाम मानसखंड खेल परिसर करने, रुद्रपुर स्थित मनोज सरकार स्टेडियम करने व हरिद्वार स्थित वन्दना कटारिया खेल स्टेडियम का नाम योगस्थली खेल परिसर करने का निर्णय पूर्वाग्रहों से ग्रसित निर्णय है। उन्होंने राज्य सरकार से इन स्टेडियमों का नाम परिवर्तन का निर्णय रद्द करते हुए उनको यथावत करने की मांग की। सरकार ने देश के महान शासक रहे महाराणा प्रताप, और मनोज सरकार व वंदना कटारिया जैसी खेल प्रतिभाओं का भी अपमान किया है जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और सरकार के इस अविवेकपूर्ण निर्णय के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस कमेटी राज्यपाल से मुलाकात कर अपना विरोध प्रकट करेगी व इन स्टेडियमों में पार्टी धरने प्रदर्शन आयोजित करेगी।

धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड में खेलों को प्रोत्साहन देने का काम कांग्रेस की सरकारों ने किया और प्रदेश भर में खेल स्टेडियमों का निर्माण व विकास करवाया जिसमें भाजपा सड़कों ने कोई योगदान नहीं दिया और उनका योगदान और उपलब्धि केवल नाम परिवर्तन करना मात्र है।

धस्माना ने रिस्पना व बिंदाल नदियों पर एलिवेटेड रोड बनाने के निर्णय को देहरादून घाटी के लिए विनाशकारी निर्णय बताया। उन्होंने कहा कि देहरादून की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में प्रकृति ने पूरब दिशा में रिसना और पश्चिम दिशा में बिंदाल नदी सौगात में दी जिसमें पूरे कैचमेंट क्षेत्र का पानी व बरसात का पानी समा जाता है और देहरादून की जनता को बाढ़ का प्रकोप नहीं झेलना पड़ता। उन्होंने कहा कि राज्य बनने से पूर्व देहरादून में पूर्व दिशा में ईस्ट कैनाल व पश्चिम दिशा में वेस्ट कैनाल थीं जिनमें बरसात का शहर के अंदरूनी क्षेत्रों का पानी समा जाता था, किंतु राज्य निर्माण के बाद ट्रैफिक का भार झेलने के लिए सड़कों के चौड़ीकरण के कारण यह दोनों नहरें भूमिगत कर दी गई जिसके कारण अब शहर के अंदरूनी हिस्सों का पानी इन नहरों में ना जा कर सड़कों पर बहता है और पूरी बरसात देहरादून शहर को जल भराव की समस्या से जूझना पड़ता है। उन्होंने कहा कि रिस्पना व बिंदाल दोनों जीवित व बहती हुई नदियां हैं और इसके जल स्रोत अभी भी जीवित हैं ऐसे में इन नदियों के बीचों बीच एलिवेटेड रोड बनाने के लिए नदियों में कंक्रीट के पिलर डालने पड़ेंगे जिससे नदी में बहने वाले पानी के लिए प्राकृतिक रास्ता बाधित होगा व उससे शहर में बाढ़ आने का खतरा बढ़ेगा। वहीं पानी रिचार्ज का भी बहुत सिकुड़ जाएगा और भू जल स्तर जो पहले ही बहुत घट गया है बुरी तरह प्रभावित होगा। पूरी परियोजना के बनाने के लिए लगभग ढाई से तीन हजार मकानों व इमारतों को तोड़ा जाएगा उसके लिए सरकार ने अभी तक कोई पुनर्वास योजना तैयार नहीं की। यह योजना देहरादून की जनता पर भरी पड़ने वाली है जबकि लोगों को।स्मार्ट सिटी की तरह सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं जिसकी हकीकत अब जनता के सामने उजागर हो चुकी है जिसमें हजारों करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी शहर कितना स्मार्ट बना यह सब के सामने है।

 

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