देहरादून। देहरादून और विकासनगर के चाय बागानों की 5500 बीघा जमीन सीलिंग एक्ट के तहत सरकारी मानी गयी है। सूचना के अधि कार मे मांगी गयी जानकारी मे इसका खुलासा हुआ है। वर्ष 2005 में तत्कालीन डीएम मनीषा पंवार ने सर्वे रिपोर्ट जारी की है और इस रिपोर्ट के बाद सीलिंग की जमीन को लेकर अध्यादेश भी जारी हो चुका है।
सोशल एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी को बताते हुए कहा कि चाय बागान की जमीन को लेकर 4 मई 2005 में तत्कालीन डीएम मनीषा पंवार ने गढ़वाल कमिश्नर को रिपोर्ट दी कि चाय बागान समेत अन्य भूमि के संरक्षण के लिए सर्वेक्षण किया गया था। ऐसी भूमि की खरीद.फरोख्त के लिए तहसील स्तर पर अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए 5 फरवरी को आदेश किये गये। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि दस अक्टूबर 1975 के बाद चाय बागान की जमीन की खरीद.फरोख्त या हस्तांतरण होने की स्थिति में सीलिंग अधिनियम के तहत जमीन को शून्य कर राज्यसात किये जाने का निर्णय हुआ है।
नेगी ने बताया कि सुुप्रीम कोर्ट ने भी यही व्यवस्था की थी। सीलिंग एक्ट के तहत देहरादून और विकासनगर की कुल 424.381 हेक्टेयर यानी लगभग 5500 बीघा जमीन चाय बागान की है। सीलिंग की जमीन को लेकर विभाग ने तहसीलदार से भी जवाब मांगा लेकिन विभाग को कोई जवाब नहीं दिया गया। इस संबंध में अध्यादेश को भी छिपा कर रखा गया। चाय बागान की जमीन को लेकर यूपी अध्यादेश संख्या 31 सन् 1975 द्वारा 10 अक्टूबर 1975 से ऐसी भूमि के नामांकरण और बिक्रय पर रोक लगाई गई तथा ग्रामीण सीलिंग अधिनियम की धारा 6 (2) के उल्घंन पर धारा 6 (3) के तहत ऐसे अतंरण,नामांकरण, ब्रिकय को सून्य कर राज्यसात किये जाने का नियम स्थापित हुआ था। उन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी तो अध्यादेश छिपाने का खुलासा हो गया।
गौरतलब है कि चकरायपुर, रायपुर, लाडपुर और नत्थनपुर की 350 बीघा जमीन को लेकर एडवोकेट विकेश नेगी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है कि सरकारी भूमि को भूमाफिया खुर्द.बुर्द कर रहा है। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर इस जमीन की खरीद.फरोख्त पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इस मामले की जांच एक समिति कर रही है जो कि डीएम को रिपोर्ट देगी और डीएम हाईकोर्ट में यह रिपोर्ट पेश करेंगे।