
अब पार्टी को असहज करने वाले विधायक पर नजर
देहरादून। राष्ट्रपति चुनाव के लिए हुए वोटिंग ने कांग्रेस की मुश्किल बढ़ा दी है। क्रॉस वोटिंग कर भीतरघात से असहज कांग्रेस के लिए यह एक वोट खतरे की घंटी मानी जा रही है। हालांकि भीतरघाती के खिलाफ कार्यवाही का दंभ भर रही कांग्रेस के सामने अब भीतरघाती को तलाशना पहली चुनौती है जो कि आसान नही है।
प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि क्रॉस वोटिंग करना पार्टी को धोखा देने वाली बात है। जिसे देखते हुए उन्होंने नेता प्रतिपक्ष से मुलाकात की है और इस पर विस्तृत रिपोर्ट बनाने पर बात हुई है कि दो विधायक वोटिंग करने क्यों नही पहुंचे साथ ही क्रॉस वोटिंग के हाईकमान से बात कर समिति का गठन करें। ताकि जिसने पार्टी के पीठ पर चाकू घोपने का काम किया है उसपर सख्त से सख्त कार्यवाही हो सके। साथ ही कहा कि जिस भी व्यक्ति ने ऐसा किया है अगर वो इतना ही वीर है तो उसे खुलकर पार्टी का विरोध करना चाहिए और पार्टी को छोड़कर चला जाना चाहिए।
वही नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि जो अपराध हुआ है वह हमारे योग्य नहीं है ऐसे में जल्द ही उनके द्वारा विधानमंडल दल की बैठक बुलाई जाएगी इस पूरे प्रकरण पर विस्तृत बातचीत की जाएगी और जिस व्यक्ति ने ऐसा किया है उसके खिलाफ संगठन स्तर पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी । नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह अपराध बड़ा है इसे क्षमा नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह राष्टीय नेतृत्व के निर्णय के खिलाफ है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड से कुल 67 विधायकों ने 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में मतदान किया था। कांग्रेस के राजेंद्र भंडारी और तिलकराज बेहड़ स्वास्थ्य तथा अन्य कारणों से मतदान नहीं कर पाए थे। इसी तरह भाजपा के विधायक व परिवहन मंत्री चंदनराम दास अस्पताल में भर्ती होने के कारण अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए थे। इस तरह 70 में से कुल 67 विधानसभा सदस्यों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा के 47, कांग्रेस के 19 विधायक हैं। इसके अतिरिक्त बसपा के दो और दो निर्दलीय हैं। राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस ने विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को मत देने के लिए अपने विधायकों को निर्देश दिया और बाकायदा ह्विप भी जारी किया था। इसी तरह का निर्देश भाजपा ने भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार श्रीमती द्रोपदी मुर्मू को वोट के लिए व्हीप जारी किया। भाजपा ने दो निर्दलीय और दो बसपा सदस्यों का विश्वास भी जुटा लिया था। इस तरह राजग की प्रत्याशी को 50 मत ही मिलने चाहिए थे, लेकिन मुर्मू को वोट मिले 51, यानी एक अधिक। तात्पर्य यह कि यह वोट कांग्रेस विधायक ने दिया। कांग्रेस के दो विधायक मतदान नहीं कर पाए। यानी इस हिसाब से यूपीए उम्मीदवार को वोट मिलने चाहिए थे 17 किंतु वोट मिले 15। एक वोट निरस्त हो गया और एक ने विधायक ने पार्टी लाइन के विपरीत जाकर राजग की उम्मीदवार को वोट दे दिया। कांग्रेस प्रकट तौर पर यही बात कर रही है कि पार्टी का एक वोट गलती से राजग प्रत्याशी को चला गया।
इस घटनाक्रम से कांग्रेस मे हलचल तो है, लेकिन उसे ऐसी हालत मे कुछ सूझ नही रहा है। पहले ही कई गुटों मे बंटी कांग्रेस का हाल मे हुए चुनाव मे कुनवा तो बढ़ा, लेकिन रार कम नही हुई।
पार्टी सूत्रों के अनुसार अब असंतुष्ट नेताओ की ओर संगठन की नजरे है। वही ऐसे विधायक जो की भाजपा से नजदीक माने जा रहे हैं या उन्होंने पार्टी को अपने बयान या किसी भी तरह से असहज किया है। ऐंसे विधायको पर पैनी नजर है और उनकी गतिविधियो के आकलन के आधार पर उन पर कार्यवाही की जा सकती है।