देहरादून। लाखों लोगों को अपने अंदाज से हंसाने वाले सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद उर्फ घन्ना भाई का आज देहरादून के इंद्रेश हॉस्पिटल मे निधन हो गया। लोक भाषा मे अलग ही अंदाज से लोगों को हंसाने वाले घन्ना भाई ने खामोशी से इस सांसारिक मंच को अलविदा कह दिया। इस बहुमुखी प्रतिभा के धनी लोक कलाकार के निधन से प्रदेश भर मे शोक की लहर है।
घन्ना भाई पिछले 5 दिन से महंत इंद्रेश हॉस्पिटल मे भर्ती थे। जहां वह पिछले चार दिनों से वेंटिलेटर पर थे। उनके निधन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी सहित कई सामाजिक तथा राजनैतिक संगठनों ने गहरा दुख जताया।
गगवाड़स्यूं पट्टी के गगवाड़ा गांव में 4 अगस्त 1953 को जन्मे घनानंद उर्फ घन्ना भाई ने हास्य कला मे आम जन के बीच अमिट छाप छोड़ी है। घन्ना भाई ने कई गढ़वाली फिल्म और म्यूजिक एलबम में काम किया है। उनकी पढाई कैंट बोर्ड लैंसडाउन जिला पौड़ी से हुई। घन्ना भाई ने अपनी कलाकारी का सफर 1970 में रामलीला में नाटकों से किया। 1974 में घनानंद ने रेडियो और फिर बाद में दूरदर्शन पर कार्यक्रम दिए। उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किया है। जिनमें घरजवें,चक्रचाल,बेटी-ब्वारी,जीतू बगडवाल, सतमंगल्या,ब्वारी हो त यनि प्रमुख है। इसके साथ ही उन्होंने कई हास्य नाटकों में दमदार अभिनय किया। जिनमें घन्ना भाई एमबीबीएस,घन्ना गिरगिट और यमराज एवं पोल्या बणी बोल्या प्रमुख है।
घनानंद घन्ना ने राजनीति में भी जोर आजमाइश की थी। वह भाजपा के टिकट पर 2012 में पौड़ी से विधानसभा चुनाव भी लड़े थे लेकिन इसमें वह चुनाव हार गए थे। वह उत्तराखंड संस्कृति,साहित्य और कला परिषद के उपाध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा उन्हें उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया। उन्होंने सांस्कृतिक मंच पर अपनी उपस्थिति बनाये रखी और अस्वस्थ होने के कुछ समय पहले तक भी वह आम जन के बीच उपस्थित रहे। घन्ना भाई की लोकप्रियता का आलम यह था कि कार्यक्रम मे उनकी उपस्थिति भी से ही आयोजन स्थल भर जाता था।