हरदा ने की गैरसैण एसडीएम कार्यालय मे तालेबंदी, भाजपा बोली नाटक – News Debate

हरदा ने की गैरसैण एसडीएम कार्यालय मे तालेबंदी, भाजपा बोली नाटक

देहरादून। भाजपा पर गैरसैण की उपेक्षा का आरोप लगते हुए पूर्व सीएम तथा वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने गैरसैण मे उप जिलाधिकारी कार्यालय मे तालेबंदी कर प्रदर्शन किया। इस दौरान उनके साथ सैंकड़ो कार्यकर्ता मौजूद थे।

इस मौक़े पर हरीश रावत ने कहा कि सरकार ने ग्रीष्म कालीन राजधानी की घोषणा कर गैरसैण को भुला दिया। हालात यह है की गैरसैण मे तहसीलदार तक की नियुक्ति तक नही की। घोषणा के बाद अभी तक यहाँ पर मुख्य सचिव या किसी अधिकारी ने सुध नही ली। सरकार ने ग्रीष्म कालीन सत्र की घोषणा के बाद भी सत्र से कदम पीछे खीच लिए। पिछले वर्ष 25 हजार करोड़ की घोषणा के बाद भी गैरसैण के हिस्से मे कुछ नही आया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल मे जो भी खर्च किया गया उसके बाद भाजपा ने गैरसैण की उपेक्षा कर इस चेपटर को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा की वह इस मुद्दे को छोड़ने वाले नही, क्योकि गैरसैण मे पर्वतीय क्षेत्र के विकास की संभावना छिपी है।

भाजपा गैरसैण के विकास को संकल्पबध, कांग्रेस का पहाड़ प्रेम नाटक: चौहान

दूसरी ओर भाजपा ने कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन पर पलटवार किया है। भाजपा ने कहा कि उसने गैरसैण को ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाया है और गैरसैण के विकास को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ही सरकार विस्तार देगी। पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कांग्रेस के गैरसैण मे तालाबंदी को  सियासी नाटक बताते हुए कहा की पूर्व सीएम हरीश रावत को जनता ने जरूर मौका दिया था, लेकिन उन्होंने नफा नुकसान को देखते हुए इस पर कोई निर्णय नही लिया। उन्होंने कहा की सरकार ने बजट मे 22 करोड़ का प्राविधान गैरसैण के लिए किया है। भाजपा ने राज्य दिया और उतराखंड के विकास के लिए एतिहासिक कार्य किये है और कांग्रेस इसे लेकर बौखला गए है। चौहान ने कहा कि पूर्व सीएम हरीश रावत खुद को लीक से हटकर दिखाने की कोशिश कर रहे है। इससे पहले कांग्रेस के पहाड़ प्रेम से सभी वाकिफ है। अब खुद उनकी ही पार्टी के लोग उन पर टोटको के सहारे चलने का आरोप लगा रहे है। भाजपा गैरसैण के नियोजित विकास की दिशा मे आगे बढ़ रही है। कांग्रेस अगर, अपने पूर्व के कार्यकाल की ओर नजर दौड़ाये तो उसे अहसास होगा की उसका पहाड़ प्रेम आडम्बर युक्त था। मैदानी क्षेत्रों की सियासी चौपाल मे पहाड़ की चिंता करने से कुछ हसिल नही होने वाला है।

 

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