गौरवशाली इतिहास का अवश्य कराएं अध्ययन, विमर्श के माया जाल को समझें
भावी पीढ़ी के कंधों पर है भारत की सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं की रक्षा की जिम्मेदारी
देहरादून। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय सह मंत्री व राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने सनातनियों को चेताया कि आज देश में इस्लाम, ईसाई, कारपोरेट घराने और वामपंथी विद्वेष भाव पैदा कर रहे हैं और विरोधी नेरेटिव गढ़ रहे हैं। देश को बांटने की मुहिम चलाई जा रही है। भारत को तोड़ने की साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि इससे सावधान रहने के साथ भारत को जानने और स्व को पहचानने की जरूरत है। विरोधी नेरेटिव को ध्वस्त करना ही देशभक्ति है।
विश्व संवाद केंद्र की ओर से रविवार को सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी सभागार में आयोजित हिमालय हुंकार पत्रिका के संस्कृति जागरण विशेषांक के लोकार्पण समारोह के अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने वेद, पुराण, गीता व भारत की समृद्ध विरासत के साथ भारतीय संस्कृति का बोध कराया। उन्होंने सनातनियों से कहा कि भारत को जानें और स्व को पहचानें, तभी भारत विश्व गुरू बनेगा।
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि आज की पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। विमर्श के माया जाल को समझना होगा। सांस्कृतिक संक्रमण फैलाने वाले सिनेमा व मीडिया को भी समझना होगा। भारत की सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं की रक्षा की जिम्मेदारी भावी पीढ़ी के कंधों पर है। सांस्कृतिक मार्क्सवाद से समाज को बचाना है। वैसे हम सभी जानते हैं कि अंग्रेजों के शासनकाल में किस प्रकार झूठे विमर्श गढ़ने के प्रयास हुए थे। सनातन भारतीय संस्कृति रुढ़िवादी और अवैज्ञानिक है। लंबे समय तक सिनेमा में ऐसा दिखाया गया, हमारी विरासत को क्षति पहुंचाने वाला था। भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है। आपकी उदारता प्राणियों के प्रति सद्भावना उच्चतम आदर्शों की पोषिका रही है।
सर्वप्रथम अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके उपरांत डॉ. रश्मि रावत ने वंदे मातरम् की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता तुलास ग्रुप के चेयरमैन सुनील जैन ने की। इस अवसर पर हिमालय हुंकार पत्रिका के संपादक रणजीत सिंह ज्याला, विशेषांक संपादक शाक्त ध्यानी, विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष सुरेंद्र मित्तल, प्रांत प्रचार प्रमुख संजय, लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल, प्रेम, दिनेश उपमन्यु, मनीष बागड़ी, बलदेव पाराशर समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित रहे