देहरादून। एम्स ऋषिकेश में महिला डॉक्टर के साथ नर्सिंग ऑफिसर द्वारा की गई छेड़छाड़ के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल अस्पताल प्रशासन द्वारा हड़ताली डॉक्टरों की मांगों को मान लिए जाने के बाद समाप्त हो गयी।
बृहस्पतिवार को संस्थान के उच्च अधिकारियों के साथ रेजिडेंस डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल के साथ लंबी वार्ता हुई। इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह स्वयं एम्स पहुंचे और हड़ताली डॉक्टरों के साथ वार्ता की। देर शाम तक एम्स अस्पताल प्रशासन भी मामले को सुलझाने में लगा रहा। इस दौरान एम्स के वरिष्ठ अधिकारियों और हड़ताली रेजिडेंट्स चिकित्सकों के मध्य कई दौर की वार्ता चली। बाद में एम्स प्रशासन द्वारा डॉक्टरों की मांगों को लिखित तौर से मान लिया गया।
इस आशय की जानकारी देते हुए संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने बताया कि रेजिडेंस डॉक्टरों की लगभग सभी मांगे मान ली गई हैं। इस प्रकरण में न्यायालय में जो केस चलेगा उसका खर्चा संस्थान स्वयं वहन करेगा। इसके अलावा इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हेतु पुलिस द्वारा एसआईटी का गठन कर दिया गया है। उनका कहना है कि भविष्य में संस्थान के किसी कर्मचारी के साथ इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए विशेष प्रावधान तैयार किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि जो रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल के दौरान ड्यूटी पर नहीं थे उनके खिलाफ अस्पताल प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं की जाएगी।
वार्ता के दौरान प्रभारी डीन एकेडमिक प्रोफेसर शैलेंद्र हांडू, चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल और संस्थान के विधि अधिकारी प्रदीप चंद्र पांडे आदि मौजूद थे।
एम्स मे उग्र भीड़ के चुंगल से आरोपी की सुरक्षित निकासी को चौथी मंजिल तक पहुंचा वाहन
AIIMS ऋषिकेश में पुलिस वाहन को चौथी मंजिल पर ले जाने की घटना के संबंध में SSP देहरादून द्वारा एम्स ऋषिकेश जाकर एम्स प्रशासन के साथ वार्तालाप कर घटना के सभी पहलुओं की स्वयं बारीकी से जांच की गई। जांच के दौरान प्रकाश में आया कि 19 मई को एम्स के ट्रॉमा सेंटर की OT में नर्सिंग ऑफिसर सतीश कुमार द्वारा महिला डॉक्टरो के साथ छेड़छाड़ की गई थी, जिसके संबंध में महिला चिकित्सको द्वारा एम्स प्रशासन को रात्रि के समय अवगत कराया गया था।
प्रकरण में एम्स प्रशासन द्वारा इंटरनल कमेटी गठित करते हुए 21 मई को आरोपी नर्सिंग ऑफिसर सतीश कुमार को निलंबित किया गया था तथा इसकी सूचना पुलिस स्टेशन ऋषिकेश को दी गई थी, जिस पर तत्काल कोतवाली ऋषिकेश में संबंधित धाराओ में अभियोग पंजीकृत किया गया था।
घटना के पश्चात 20 मई को आरोपी नर्सिंग ऑफिसर सतीश कुमार मनोचिकित्सक वार्ड में भर्ती हो गया था तथा दिनांक 21 मई को एम्स ऋषिकेश के चिकित्सको व एमबीबीएस छात्रों द्वारा घटना के संबंध में मनोचिकित्सा विभाग के बाहर एकत्रित होकर उग्र प्रदर्शन किया गया, जिसकी सूचना एम्स प्रशासन द्वारा पुलिस को दी गई थी। पुलिस द्वारा मौके पर पहुंचकर परिस्थितियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया, किंतु मौके पर 400- 500 चिकित्सकों एवं एमबीबीएस छात्रों द्वारा मनोचिकित्सक विभाग में भर्ती सतीश कुमार को उनके हवाले करने के लिए उग्र प्रदर्शन व नारेबाजी करते हुए मनोचिकित्सा विभाग के कक्ष में घुसने का प्रयास किया जा रहा था। मौके पर पुलिस तथा AIIMS प्रशासन द्वारा उन्हें समझाने का काफी प्रयास किया गया परंतु उनके द्वारा अत्यधिक उग्र होकर सुरक्षाकर्मियों/ पुलिस बल के साथ धक्का मुक्की की गई। मौके पर बनी परिस्थितियों में आरोपी की सुरक्षा/ मोब लिंचिंग की घटना की संभावना तथा नर्सिंग स्टाफ एवं डॉक्टर के मध्य आपस में टकराव की स्थिति से बचाव के दृष्टिगत एम्स प्रशासन तथा पुलिस द्वारा त्वरित निर्णय लेते हुए एम्स प्रशासन द्वारा सुझाए गए वैकल्पिक इमरजेंसी मार्ग से पुलिस के सरकारी वाहन के माध्यम से आरोपी को मौके से बाहर निकाला गया। आरोपी को बाहर निकालने के दौरान उपस्थित भीड़ द्वारा लगातार वाहन का पीछा कर आरोपी को वाहन से खींचने का प्रयास किया गया।
इस दौरान एम्स प्रशासन द्वारा बताए गए triaga एरिया से वाहन को बाहर निकाला गया, वाहन को किसी भी इमरजेंसी वार्ड के जरिए बाहर नहीं लाया गया था।इसके अतिरिक्त एवं ऋषिकेश में लगे हुए सीसीटीवी कैमरा में घटना की फुटेज को सुरक्षित रखा गया है, साथ ही पीड़ित महिला चिकित्सक के प्रार्थना पत्र के आधार पर कोतवाली ऋषिकेश में दर्ज अभियोग की विवेचना हेतु क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश के पर्यवेक्षण में SIT टीम का गठन किया गया है, जिसमें दो महिला उप निरीक्षको के अतिरिक्त अन्य कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है।