देहरादून। उत्तराखंड कला जगत के लिए आज एक बुरी खबर आयी। सुप्रसिद्ध लोक गायक प्रहलाद सिंह मेहरा की हृदयघात से हुई मौत ने सब को झकझोर कर रख दिया। मेहरा की उम्र 53 साल थी। उन्होंने अपनी मधुर आवाज और लोक गीतों से लोगों का दिल जीत लिया। उत्तराखण्ड संगीत जगत को हजारों नए पुराने सुपरहिट गीत देकर लोगों के दिलों में खास जगह बनाने वाले लोकगायक प्रहलाद मेहरा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं थे।
प्रहलाद मेहरा का एक और खूबसूरत गीत बीते दिनों रंगभंग- खोला पारी बीते दिनों मसकबीन यूट्यूब चैनल के बैनर तले रिलीज हो गया है। जिसमें उनके साथ कुमाऊं की प्रसिद्ध युवा गायिका ममता आर्या ने बेहतरीन जुगलबंदी की है। दोनों की मधुर आवाज़ में रिलीज हुए इस गीत की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चंद दिनों के भीतर ही जहां इसे 10 लाख से अधिक लोगों द्वारा देखा जा चुका है वहीं अधिकांश लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिली है। इसे पसंद करने वालों में युवा पीढ़ी के साथ ही बड़े उम्रदराज लोग भी शामिल हैं।
उत्तराखंड के वरिष्ठ लोक गायक प्रहलाद सिंह मेहरा का जन्म 04 जनवरी 1971 को पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील चामी भेंसकोट में एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम हेम सिंह है वह शिक्षक रह चुके हैं, उनकी माता का नाम लाली देवी है। प्रहलाद मेहरा को बचपन से ही गाने और बजाने का शौक रहा, और इसी शौक को प्रहलाद मेहरा ने व्यवसाय में बदल लिया। वह स्वर सम्राट गोपाल बाबू गोस्वामी और गजेंद्र राणा से प्रभावित होकर वह उत्तराखंड के संगीत जगत में आए। साल 1989 में अल्मोड़ा आकाशवाणी में उन्होंने स्वर परीक्षा पास की वर्तमान में प्रहलाद मेहरा अल्मोड़ा आकाशवाणी में A श्रेणी के गायक थे।
उनके कई हिट कुमाऊंनी सांग्स हैं, पहाड़ की चेली ले, दु रवाटा कभे न खायाओ हिमा जाग…का छ तेरो जलेबी को डाब, चंदी बटना दाज्यू, कुर्ती कॉलर मां मेरी मधुलीएजा मेरा दानपुरा ने इस सुपर हिट गानों को अपनी आवाज देकर वह उत्तराखंड के लाखों लोगों के दिलों में छा गए हैं। ओ हिमा जाग,पहाड़क चेली ले — कभे नी खाए द्वि रोटी सुख ले जैसे गीतो को स्वर देने वाले प्रसिद्व लोक गायक प्रहलाद मेहरा ऐसे सुपरहिट कुमाऊनी गानों में अपनी परफॉर्मेंस देकर वह उत्तराखंड म्यूजिक इंडस्ट्री के एक सीनियर स्टार सिंगर बन गए हैं।