सुप्रीम कोर्ट में पैरवी पर खर्च हुए 2 करोड रुपये, एक सुनवाई पर
20-20 लाख रुपया
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार उपनल कर्मियों के हक के विपरीत प्राइवेट वकीलों की फौज पर सरकारी खजाने को लुटा रही है।
पत्रकारों से वार्ता करते हुए नेगी ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा उपनल कर्मियों के नियमितीकरण एवं महंगाई भत्ते आदि दिए जाने के मामले में सरकार को इनका हक दिए जाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन सरकार ने आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की,जिसमें प्राइवेट वकीलों की फौज खड़ी की गई। हैरानी की बात यह है कि उपनल कर्मियों की राह में रोड़ा अटकाने को सरकार ने एक करोड रुपए अधिवक्ता मुकुल रोहतक को भुगतान किया, जिसमें एक सुनवाई पर 20 लख रुपए खर्च किए गए तथा प्राइवेट अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी को लगभग 35 लख रुपए भुगतान किया गया | ये आंकड़े जुलाई 2023 तक के हैं तथा इसके अतिरिक्त और भी अन्य खर्च किए गए हैं। सरकारी वकीलों को भी निर्धारित फीस व सुप्रीम कोर्ट आने -जाने का खर्चा चुकाया गया।
नेगी ने कहा कि जब प्राइवेट वकीलों से ही पैरवी करवानी है तो सरकारी वकीलों पर करोड़ों रुपए क्यों खर्च किया जा रहा है।सरकार ने गरीब व मेहनतकश कर्मियों को उनके हक से वंचित रखकर कर्मचारी विरोधी होने का संदेश दिया। सरकार की मंशा ठीक होती तो बीच का रास्ता निकाला जा सकता था, लेकिन मकसद सिर्फ रोडा अटकना है।
नेगी ने कहा कि अगर अन्य मामलों में भी पैरवी की बात की जाए तो वर्तमान व पूर्ववर्ती सरकारों ने अब तक करोड़ों रूपया पानी की तरह बहा दिया। नेगी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जब सरकार ही लाखों- करोड़ों रुपए पैरवी में खर्च कर रही तो आम जन की क्या विसात है।
पत्रकार वार्ता में अशोक चंडोक व प्रवीण शर्मा पिन्नी भी मौजूद थे |