देहरादून। कांग्रेस मे अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव मे वरिष्ठ नेता और सदन मे नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बाजी मार ली है। खड़गे के साथ प्रतिद्वंदी शशि थरूर की बुरी हार हुई है।
दलित परिवार मे जन्मे मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी स्कूली शिक्षा और बीए के साथ-साथ गुलबर्गा में कानून की पढाई की। राजनीति में आने से पहले कुछ समय तक वकालत भी करते थे। उन्होंने संघ नेता के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। श्रमिकों के लिए काम करने के दौरान 1969 में वह कांग्रेस में शामिल हुए और गुलबर्गा सिटी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। खड़गे ने पहली बार 1972 में विधानसभा में प्रवेश किया था जब वे गुरमीतकल निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे और 1976 में प्राथमिक शिक्षा राज्य मंत्री के रूप में देवराज उर्स सरकार के सदस्य बने थे। उन्होंने 1980 में गुंडू राव मंत्रालय में भी काम किया, जिसके दौरान प्रभावी भूमि सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने एक ट्राइब्यूनल का गठन किया गया था ताकि भूमि अधिकार किसानों को ट्रासंफर किया जा सके। मल्लिकार्जुन को 50 साल से ज्यादा का राजनीतिक अनुभव है। खड़गे ने अपने गृह जिले गुलबर्गा में एक संघ नेता के रूप में राजनीतिक पारी की शुरुआत की। उसके बाद उनके राजनीतिक करियर ग्राफ बढता गया। राजनीति में कड़ी मेहनत के चलते उन्हें हमेशा राजनीति का चैंपियन कहा जाता है। मल्लिकार्जुन खड़गे सामाजिक गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। उनका विवाह राधाबाई से हुआ है और उनके तीन बेटे और दो बेटियां हैं। चुनाव मे मल्लिकार्जुन हमेशा अजेय रहे। साल 2008 में उन्हें कर्नाटक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 2009 में सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे तब मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। यहां तक कि लोकसभा चुनावों में मोदी लहर भी उन्हें नहीं हरा सकी। प्रबल मोदी लहर में जहां लोकसभा चुनाव में सूफड़ा साफ हुआ, उन्होंने गुलबर्गा से 74,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित होने पर कांग्रेस को एक नई ऊर्जा मिलेगी तथा कांग्रेस पार्टी श्रीमती सोनिया गांधी के मार्ग दर्शन एवं राहुल गांधी व मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में पूरे देश में एकबार फिर से अपना परचम लहरायेगी। पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि खड़के अनुभवी नेता हैं और जन आंदोलनों से निकले हुए हैं। राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने की उनमें क्षमता है। पीसीसी के उपाध्यक्ष संगठन मथुरा दत्त जोशी तथा धीरेंद्र प्रताप ने भी खड़के के निर्वाचन पर खुशी जाहिर की है।