आईटी पार्क मे भू आबंटन पर कांग्रेस-भाजपा मे घमासान

 रियल एस्टेट कारोबारी को लाभ पहुंचाने वाला कदम: कांग्रेस

देहरादून। आईटी पार्क की भूमि को डेवलपर्स को देने और आर्थिक लाभ पहुंचाने के कांग्रेस के आरोप के बाद भाजपा कांग्रेस मे घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस ने इसे रियल एस्टेट कारोबारी को लाभ पहुंचाने वाला कदम बताया तो भाजपा ने आबंटित जमीन के आईटी पार्क से अलग और आवासीय बताते हुए कहा कि यह जमीन 2012 मे कांग्रेस सरकार ने आबंटित की तथा उपयोग न होने पर दोबारा पारदर्शिता से टेंडर आबंटित किये।

कांग्रेस अध्यक्ष करन माहारा ने कहा कि धामी सरकार ने आईटी पार्क को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में बदलकर उसकी मूल भावना को ही समाप्त कर दिया है। आईटी पार्क की जमीन को फ्लैट्स बनाने वाली निजी कंपनी को सौंप दिया गया है, जो बाद में इन्हें बाजार में बेचकर मुनाफा कमाएगी। यानी जनता की जमीन को “Public to Private Transfer” के ज़रिए बिल्डर लॉबी के हवाले कर दिया गया।

सबसे गंभीर बात यह है कि 40,000 रुपये प्रति वर्गमीटर बेस रेट वाले टेंडर में बोली केवल 46,000 रुपये तक ही गई और दोनों प्लॉट एक ही कंपनी RCC Developer को दे दिए गए। यह पूरी प्रक्रिया न सिर्फ़ संदिग्ध लगती है बल्कि संभावित मिलीभगत का भी संकेत देती है। इतना ही नहीं, कंपनी को केवल 25% अग्रिम राशि जमा करने और बाकी रकम आसान किश्तों में देने की छूट दी गई, मानो सरकार खुद किसी निजी डेवलपर की आर्थिक मददगार बन गई हो।

इस फैसले से उत्तराखंड के हज़ारों युवाओं के सपनों पर पानी फिर गया। जहाँ आईटी कंपनियाँ आनी चाहिए थीं, वहाँ अब अपार्टमेंट प्रोजेक्ट बनेंगे। यह निर्णय न सिर्फ़ “Skill & Employment Oriented Economy” के खिलाफ है, बल्कि प्रदेश की युवा पीढ़ी के साथ खुला अन्याय है।

सिडकुल, जिसका उद्देश्य उद्योगों को बढ़ावा देना था, अब खुद रियल एस्टेट के कारोबार में उतरती दिख रही है। पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव साफ़ झलकता है। न जनता को बताया गया कि टेंडर कैसे हुआ, न यह कि किन कंपनियों ने बोली लगाई। सरकार ने बिना किसी सार्वजनिक संवाद या विचार-विमर्श के यह निर्णय लेकर जनता के भरोसे और जवाबदेही दोनों को कमजोर किया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उद्योग सचिव विनय शंकर पांडेय से अब जनता यह जानना चाहती है कि क्या यह फैसला जनहित में था या किसी खास कंपनी के हित में? राज्य की अमूल्य संपत्ति को 90 साल की लीज़ पर देकर सरकार ने क्या वास्तव में उत्तराखंड की भावी पीढ़ियों का अधिकार गिरवी रख दिया है? यह सिर्फ़ एक ज़मीन का नहीं, बल्कि प्रदेश के भविष्य और नीतिगत नैतिकता का सवाल है।

आवंटित भूमि आवासीय और आईटी पार्क से अलग, कांग्रेस को नही तथ्यों की जानकारी : भट्ट

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने आईटी पार्क मे स्थापित उद्योंगों के लिए आबंटित जमीन को प्लाटिंग के लिए उपयोग की खबरों को भ्रामक बताते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मामले का बिना तथ्यों के आरोप लगा रहे है और यह सरासर झूठ का पुलिंदा है। उन्होंने कहा कि यह भूमि कांग्रेस काल 2012 मे जीटीएम बिल्डर्स, RBI और नाबार्ड को आवंटित हुई तथा RBI और नाबार्ड द्वारा आवंटित भूमि उपयोग न होने पर निरस्त और दोबारा टेंडर के लिए पारदर्शी प्रक्रिया शुरू की गयी।

भट्ट ने कहा कि वर्तमान में कुछ माध्यमों द्वारा सिडकुल द्वारा प्रख्यापित निविदा संख्या 206/सिडकुल /2025 दिनांक 25 जुलाई, 2025 एवं 207/सिडकुल /2025 दिनांक 25 जुलाई, 2025 के माध्यम से सिडकुल द्वारा उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली, 2025 के अंतर्गत R-1 एवं R-2 प्लॉट का ई-निविदा के माध्यम से आवंटन पर आपत्ति दर्शायी गयी है। इस संबंध में यह भी आपत्ति दर्ज की गयी है कि प्रश्नगत भूखण्डों का प्रयोजन बदलकर आवासीय कर आवंटन किया गया है। जो कि सरासर गलत है।

उन्होंने कहा कि जिस जमीन की बात कांग्रेस अध्यक्ष ने कही है वह भूखण्ड आई०टी० पार्क से पृथक है, एवं वर्ष 2006 एवं 2008 के शासनादेशो से औद्योगिक विकास विभाग, उत्तराखण्ड शासन एवं राज्य अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास निगम लि० (सिडकुल) को सहस्त्रधारा रोड, देहरादून में राजस्व ग्राम धोरण खास, डांडा नूरीवाला, डाडा धोरण एवं डांडा लखौण्ड में “आवासीय क्षेत्र” हेतु कुल 6.794 है. भूमि आवंटित की गयी थी, जिसे “IT Park Residential site” के रुप में निदेशक मण्डल की 34वी बैठक दिनांक 30 मार्च, 2012 की बैठक में प्रख्यापित किया गया था।

यह भूखण्ड में से वर्ष 2012 एवं वर्ष 2013 में आवासीय प्रयोजन हेतु मै० जी०टी०एम० बिल्डर्स एवं प्रोमोर्टस प्रा०लि०, नाबार्ड एवं आर.बी.आई को भूखण्ड आवंटित की गयी थी। नाबार्ड एवं आर.बी.आई को आवंटित आध्यासीय भूखण्डों में संबंधित द्वारा समयान्तर्गत कार्य प्रारम्भ नहीं किये जाने के कारण सिडकुल निदेशक मण्डल द्वारा भूमि के सही प्रयोजन के उपयोग हेतु 61वीं बैठक दिनांक 04 अगस्त, 2023 में उक्त इकाईयों को आवंटित भूखण्ड निरस्त किये गये।

चूंकि “आईटी पार्क आवासीय” में उपरोक्त इकाईयों को आवंटित भूखण्ड निरस्त कर दिये गये थे, इस कारण पारदर्शी प्रक्रिया के अंतर्गत उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली, 2025 के अंतर्गत R-1 एवं R-2 प्लॉट की ई-निविदा प्रकाशित की गयी। उक्त के क्रम में निविदा संख्या 206/सिडकुल/2025 दिनांक 25 जुलाई, 2025 एवं 207/सिडकुल/2025 दिनांक 25 जुलाई, 2025 के माध्यम से निविदा प्रकाशित की गयी एवं समस्त प्रक्रिया का परिपालन उपरांत अधिकतम एवं सफल बोलीप्रदाता को भूखण्ड आवंटन किया गया। प्रक्रिया में समस्त प्रक्रिया का परिपालन किया गया है एवं प्रश्नगत भूखण्ड आवासीय प्रयोजन” हेतु था एवं उक्तानुसार ही आवंटित किया गया था।

उन्होंने बताया कि एकीकृत औद्योगिक आस्थान जैसे हरिद्वार, पतनगर, सितारगंज इत्यादि में औद्योगिक प्रयोजन के साथ-साथ एकीकृत विकास हेतु आवासीय प्रयोजन, व्ययसायिक प्रयोजन, संस्थागत प्रयोजन एवं स्वास्थ्य सुविधाओं इत्यादि के लिये भूखंड आवंटित कर विकसित किये जाने का प्राविधान मी है, किंतु उपरोक्त भूखण्ड R-1 एवं R-2 का आवंटन “आवासीय प्रयोजन” हेतु चिन्हित होने के कारण उक्त प्रयोजन हेतु “IT Park Residential site, Sahastradhara Road” पर किया गया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ऐसे कथित खुलासे का तथ्यपरक अवलोकन जरूरी है, क्योंकि सच सामने आने पर वह भागती नजर आती है।

 

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