पहाड़ों मे स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत को बयान कर रही है बागेश्वर मे डेढ़ साल के मासूम की मौत
रेफर सेंटर बन गए हैं अस्पताल, 4 अस्पताल भी मुहैया नही करा पाए उपचार
बागेश्वर। बागेश्वर में डेढ़ साल के सैनिक पुत्र की मौत के मामले में कुमाऊ कमिश्नर जांच करेंगे। उत्तराखंड के बागेश्वर मे हुई इस घटना से राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों मे स्वास्थ्य व्यवस्था पर तमाम सवाल खड़े हुए हैं। तमाम दावों के बीच गढ़वाल-कुमाऊं के ग्वालदम, बैजनाथ, बागेश्वर, अल्मोड़ा और हल्द्वानी तक उस बच्चे को लेकर परिजन भटकते रहे, लेकिन बच्चा असमय काल के गाल मे समा गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बागेश्वर में डेढ़ साल के सैनिक पुत्र की मौत के मामले में कुमाऊ कमिश्नर को जांच के आदेश दिए हैं।प्रभारी स्वास्थ्य महानिदेशक डा. सुनीता टम्टा ने भी विभागीय जांच बिठाई है। हालांकि सीएमओ बागेश्वर ने आनन फानन में टीम का गठन कर जांच कराई और टीम की जांच रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टरों को क्लीन चिट दे दी गई है।
सीएम धामी ने कहा कि बागेश्वर में बच्चे की चिकित्सा सुविधा में लापरवाही से मौत का मामला दुर्भाग्यपूर्ण व पीड़ादायक है। अब तक मिली जानकारी में प्रथम दुष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि कतिपय स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरती है। इस संवेदनशील प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए कुमाऊं आयुक्त को तत्काल जांच के आदेश दिए गए। इस मामले में यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही या उदासीनता पाई गई तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जनता के विश्वास और जीवन सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।
गौरतलब है कि चिडंगा गांव के सैनिक दिनेश चंद्र के बेटे शुभांशु जोशी की अचानक तबीयत खराब होने पर परिजन उसे ग्वालदम अस्पताल लाए। जहां पर उसे कुमाऊं मंडल के बैजनाथ रेफर किया गया। वहां पर भी इलाज न मिलने पर जिला चिकित्सालय बागेश्वर रेफर किया। जहां से डॉक्टरों ने बच्चे की हालत गंभीर बताते हुए हायर सेंटर रेफर किया।
लगातार रेफर हो रहे केस मे अब जांच समय पर एंबुलेंस न मिलने अथवा लापरवाही तक टिक गयी है। सीएमओ बागेश्वर ने जांच टीम का गठन तो रिपोर्ट में डॉक्टरों को निर्दोष और एम्बुलेंस स्टाफ को कसूरवार बताया गया है। एम्बुलेंस मिलने में हुई देरी के लिए एम्बुलेंस स्टाफ को हटाने की संस्तुति की गई है।
सीएमएस डॉ. शर्मा ने कि बच्चे को दिमागी बुखार की शिकायत थी। स्थिति गंभीर होने के कारण उसे वैजनाथ से जिला अस्पताल रेफर किया गया था। बाल रोग विशेषज्ञ उस समय राउंड पर थे। उन्होंने बच्चे की पूरी जांच कर उसे हॉयर सेंटर रेफर करने की सलाह दी। इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर भूपेंद्र घटियाल बच्चे को एम्बुलेंस मिलने तक वहीं मौजूद रहे। इस मामले में 108 की सेवा की पूरी लापरवाही रही। सात बजे फोन करने के बाद 9.30 बजे तक एम्बुलेंस का इंतजार करना पड़ा। उसके बाद जब बच्चे को ले जाया जा रहा था तो रास्ते मे उसने दम तोड़ दिया।
