मंत्री आवास के बाहर धरने पर बैठे पुरोला भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल – News Debate

मंत्री आवास के बाहर धरने पर बैठे पुरोला भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल

सीएम ने वार्ता के लिए बुलाया

देहरादून। भाजपा के पुरोला विधायक दुर्गेश्वर लाल और वन मंत्री सुबोध उनियाल के बीच गोविंद वन्य जीव विहार क्षेत्र में तैनात डीएफओ को लेकर तनातनी बढ़ गयी है। लंबे समय से चल रही तनातनी के बाद आज विधायक मंत्री आवास के बाहर ब्लॉक प्रमुख, मंडल अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत सदस्यों के साथ धरने पर बैठ गए।

धरने पर बैठे दुर्गेश्वर लाल ने वन मंत्री पर खुद और जनता का उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। विधायक का कहना है कि गोविंद वन्य जीव विहार क्षेत्र में तैनात डीएफओ को सीधे तौर पर मंत्री की शह है, क्योंकि उन्होंने जब भी मंत्री को डीएफओ की मनमानी से अवगत कराया तो उन्होंने अनसुनी कर दी। उन्होंने कहा कि डीएफओ विकास कार्यो को भी रोक रहे हैं और इसका सीधा असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है।

गोविंद वन्य जीव विहार के 42 गाँव सीधे तौर पर प्रताड़ित हैं। उन्हें न हक हकूक मिल रहा है और न ही विकास कार्य आगे बढ़ रहे है। पुरानी सड़कें जो कि स्वीकृत हैं उनको भी जबरदस्ती रोका जा रहा है। इसके अलावा लोग अपने आवास के मरम्मत या निर्माण के लिए भी रेत बजरी से बंचित हैं। क्योंकि क्षेत्र मे सभी कार्य ठप्प पड़े है। उन्होंने कहा कि पूर्व मे तीन वीडीसी की बैठकों मे डीएफओ की कार्यशैली को लेकर आक्रोश और निंदा प्रस्ताव पास किया गया। विधायक ने कहा कि मंत्री ने क्षेत्र मे एक ऐसा तना बना बुना है कि एक डीएफओ भी उनका फोन नही उठाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि वन मंत्री उनके साथ अभद्र व्यवहार और जाति सूचक शब्दो का इस्तेमाल कर चुके हैं।

विधायक ने कहा कि वह इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, प्रदेश प्रभारी और केंद्र के नेताओं से कर चुके हैं, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नही हो रही है और इसी कारण उन्होंने आखिर मे यह कदम मजबूरी मे उठाया।

विधायक के समर्थक और क्षेत्र के प्रतिनिधि धरने पर बैठे है। वहीं विधायक ने जानकारी दी कि उन्हें सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वार्ता के लिए बुलाया है और वह सीएम हाउस पहुँच रहे है।

वहीं मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि उन्होंने विधायक की शिकायत का संज्ञान लिया और अधिकारियों से वार्ता कर विधायक को अश्वासन दिया, लेकिन विधायक का व्यवहार ठीक नही है। उन्होंने जांच कर 7 दिन मे कार्यवाही का अश्वासन भी दिया, लेकिन विधायक ने आदेश फाड़ दिये। सीएम को उन्होंने इसकी शिकायत भी की है।

 

 

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